पाकिस्तान में प्रशासनिक ढांचे को नए सिरे से तय करने की कवायद ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। देश की सरकार चार मौजूदा प्रांतों — पंजाब, सिंध, खैबर पख्तूनख्वा (KP) और बलूचिस्तान — को मिलाकर कुल 12 नए प्रांत बनाने का खाका तैयार कर रही है। यह कदम शासन को अधिक प्रभावी बनाने के नाम पर उठाया जा रहा है, लेकिन इसकी घोषणा के तुरंत बाद राजनीतिक और क्षेत्रीय दलों में उथल-पुथल तेज हो गई है।
बता दें कि, रणनीतिक साझेदारी का नया ब्लूप्रिंटमुलाकात में दोनों पक्षों ने 2025-2029 के लिए ‘इंडिया-इटली जॉइंट स्ट्रैटेजिक एक्शन प्लान’ की प्रगति की समीक्षा की। यह योजना रक्षा एवं सुरक्षा, व्यापार-निवेश, ऊर्जा परिवर्तन, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कनेक्टिविटी और जन-से-जन संपर्क जैसे सभी क्षेत्रों को कवर करती है।विशेष रूप से इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) पर विस्तृत चर्चा हुई। इटली इस महत्वाकांक्षी परियोजना में भारत का प्रमुख यूरोपीय साझेदार है।
मुख्यमंत्री मुराद अली शाह का बयान
सिंध के मुख्यमंत्री ने एक रैली में कहा:
“अल्लाह के सिवा कोई भी सिंध को बांटने की ताकत नहीं रखता। सिंध हमारी पहचान है, हमारी विरासत है। इसे बांटने की कोशिश किसी कीमत पर स्वीकार नहीं की जाएगी।” यह बयान न सिर्फ भावनात्मक है बल्कि सिंधी समाज में मौजूद क्षेत्रीय गर्व की भावना को भी दर्शाता है।
गौरतलब हैं कि, अभी तक सरकार ने औपचारिक नक्शा या विधेयक जारी नहीं किया है।लेकिन अब्दुल अलीम खान का बयान संकेत देता है कि सरकार इस दिशा में गंभीरता से आगे बढ़ रही है। अगर संसद में यह प्रस्ताव आता है, तो बड़ा राजनीतिक संघर्ष देखने को मिल सकता है। विशेष रूप से PPP बनाम केंद्र सरकार की टकराव की स्थिति बन सकती है।
