भारत के नए मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के रूप में ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति की घोषणा कर दी गई है। 1988 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी रहे ज्ञानेश कुमार 19 फरवरी 2025 से अपनी नई जिम्मेदारी संभालेंगे। लेकिन इस नियुक्ति पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है। आइए समझते हैं कि कौन हैं ज्ञानेश कुमार और उनकी नियुक्ति पर विवाद क्यों हो रहा है।
कौन हैं ज्ञानेश कुमार?
- पूर्व आईएएस अधिकारी (1988 बैच, केरल कैडर)
- 31 जनवरी 2024 को यूनियन कोऑपरेशन सेक्रेटरी पद से रिटायर हुए
- गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव के रूप में कार्य किया
- अनुच्छेद 370 हटाने और राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन में शामिल रहे
- मार्च 2024 में चुनाव आयुक्त बने और अब मुख्य चुनाव आयुक्त बने हैं
- 26 जनवरी 2029 तक उनका कार्यकाल रहेगा
नियुक्ति पर कांग्रेस की आपत्ति क्यों?
कांग्रेस का कहना है कि नया कानून, ‘मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023’, जो नियुक्ति प्रक्रिया को बदलता है, सुप्रीम कोर्ट में चुनौती का सामना कर रहा है।
- नए कानून में बदलाव:
- पहले मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करने वाले पैनल में प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शामिल होते थे।
- लेकिन 2023 में हुए संशोधन के बाद मुख्य न्यायाधीश को हटा दिया गया और गृह मंत्री (अमित शाह) को शामिल कर लिया गया।
- सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई लंबित:
- इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 19 फरवरी को सुनवाई होनी थी, लेकिन इससे पहले ही सरकार ने नियुक्ति कर दी।
- कांग्रेस ने कहा कि सरकार ने जल्दबाजी में यह फैसला लिया, जो संवैधानिक भावना के खिलाफ है।
- चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल:
- कांग्रेस के अनुसार, यह नियुक्ति सरकार के प्रभाव में हो सकती है।
- राहुल गांधी और अभिषेक मनु सिंघवी ने मांग की थी कि सुनवाई पूरी होने तक चयन प्रक्रिया टाली जाए।
- केसी वेणुगोपाल ने कहा कि “मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति निष्पक्षता की कसौटी पर होनी चाहिए।”
आगे क्या होगा?
- ज्ञानेश कुमार का कार्यकाल 2029 लोकसभा चुनावों तक रहेगा।
- उनके कार्यकाल में 20 विधानसभा चुनाव, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव होंगे।
- कांग्रेस इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में उठाने की तैयारी में है।
क्या यह नियुक्ति लोकतंत्र की निष्पक्षता को प्रभावित करेगी या यह सरकार का एक साधारण निर्णय है? इन सब बातों को लेकर पक्ष – विपक्ष की अपनी-अपनी राय है मगर इन सबके बीच होना भी यही चाहिए कि संस्था के साथ न्याय हो सभी कार्य बिना किसी पक्षपता के हो तो यह देश औऱ समाज हित में होगा।