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इस बार राम नवमी का त्योहार 6 अप्रैल, रविवार को मनाया जाएगा. रामनवमी का त्योहार भगवान राम को समर्पित है और इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप, सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जो सभी प्रकार की सिद्धियों और मोक्ष की प्राप्ति कराने वाली मानी जाती हैं.

राम नवमी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आता है। सनातन धर्म में इसका बड़ा महत्व है। इस साल राम नवमी दिन रविवार यानी 6 अप्रैल, 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, भगवान राम की पूजा-अर्चना करते हैं और उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेते हैं,

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,राम नवमी के दिन विधि-विधान के साथ भगवान श्री राम की पूजा करने के साथ-साथ इन पावरफुल मंत्रों का जाप करने से सारे कष्ट दूर हो सकते हैं।

राम के मंत्रों का जाप

ॐ राम राहवे नमः


राम के मंत्रों का जाप किया जाए तो न सिर्फ मन को शांति मिलती है बल्कि सफलता, समृद्धि और आत्मबल भी बढ़ता है।

श्री राम की पूजा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,राम नवमी के दिन विधि-विधान के साथ भगवान श्री राम की पूजा करने के साथ-साथ इन पावरफुल मंत्रों का जाप करने से सारे कष्ट दूर हो सकते हैं।

ॐ राम नमः

राम नवमी शुभ मुहूर्त (

इस बार नवमी तिथि 5 अप्रैल को शाम 7 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 6 अप्रैल को शाम 7 बजकर 22 मिनट पर होगा. श्रीराम की पूजन मुहूर्त- 6 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 08 मिनट से दोपहर 1 बजकर 29 मिनट तक भगवान राम की पूजा का बहुत ही शुभ मुहूर्त है.

गवान राम का चैत्र नवरात्र से संबंध

ऐसी मान्यताएं हैं कि चैत्र नवरात्र के नौवें दिन ही भगवान राम का जन्म हुआ था. इसलिए इसे रामनवमी भी कहा जाता है.

आखिर क्यों दोपहर में ही भगवान राम की पूजा की जाती है 

ऐसी मान्यता है कि भगवान राम का जन्म दोपहर के समय ठीक 12 बजे हुआ था इसलिए इस दिन दोपहर के समय पूजा होती हैं.

राम नवमी कथा (Ram Navami Katha)

रावण ने भगवान ब्रह्मा से ऐसी शक्ति प्राप्त की थी कि वह कभी भी देवताओं या यक्षों (देवताओं) के हाथों नहीं मारा जाएगा. वह सबसे शक्तिशाली था. इसलिए, इस आतंक के कारण, सभी देवता मदद के लिए भगवान विष्णु के पास गए. इस प्रकार, राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया.

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