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पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 आने वाले हैं मुश्किल से 4 महीने का वक्त बचा है ऐसे में सियासी उठापटक भी तेज हो गई है। मौजूदा स्थिति में चुनाव आयोग की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर हंगामा मचा हुआ है। विपक्षी दल इसे लेकर भड़क गए हैं। AIMIM के लीडर असदुद्दीन ओवैसी ने तो चुनाव आयोग के अफसरों से मिलकर अपनी नाराज़गी तक व्यक्त कर दी है। उनका कहना है, “हम इस प्रक्रिया के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इतनी जल्दबाज़ी क्यों? इतने कम वक़्त में 8 करोड़ वोटरों की जाँच कैसे हो सकती है?”

ओवैसी ने कहा कि आयोग को समय लेकर ये सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी पात्र वोटर लिस्ट से बाहर न रहे। उन्होंने चेताया, “अगर जल्दबाज़ी में लाखों-करोड़ों लोगों के नाम लिस्ट से गायब हो गए, तो इसका ज़िम्मेदार कौन होगा? ये तो वोटरों को उनके हक से वंचित करने जैसा है!”

विपक्ष का डर है कि ये प्रक्रिया, खासकर गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोगों को वोटिंग से रोक सकती है। ओवैसी ने पहले भी पूछा था, “एक महीने में इतना बड़ा काम कैसे होगा? ये तो नाम काटने का खेल लगता है!” अब सुप्रीम कोर्ट में भी इस मुद्दे पर 10 जुलाई को सुनवाई होने वाली है, क्योंकि कई नेता और संगठन इसे चुनौती दे रहे हैं। क्योंकि चिंता इस बात की भी जताई जा रही है कि अगर नाम काट दिया या वोटर लिस्ट में किसी वजह से मतदाता का नाम नहीं आता है तो चुनाव की प्रक्रिया पर भी बेहद गंभीर असर पड़ेंगे जो लोकतंत्र के हित में तो बिल्कुल भी नहीं होगा।

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