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नई दिल्ली। संसद के मौजूदा मॉनसून सत्र के दौरान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर हो रही गरमागरम बहस ने देशभर में सुर्खियां बटोरी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के इस विशेष अभियान को लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है, लेकिन कांग्रेस पार्टी के भीतर उठी कलह ने बहस का रुख बदल दिया है। एक तरफ वरिष्ठ नेता शशि थरूर की रहस्यमयी चुप्पी चर्चा का विषय बनी हुई है, तो दूसरी ओर पार्टी सांसद मनीष तिवारी की एक सोशल मीडिया पोस्ट ने भाजपा को कांग्रेस पर हमलावर होने का नया मौका दे दिया है।

दरअसल कांग्रेस के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है इसका खुलासा सोमवार को बहस के पहले ही हो गया जब कांग्रेस ने अपने दिग्गज सांसद शशि थरूर को वक्ताओं की लिस्ट में शामिल नहीं किया। यही नहीं इस फेहरिस्त में कांग्रेस के एक और दिग्गज नेता मनीष तिवारी का भी नाम नजर नहीं आया। इसी बीच मनीष तिवारी ने एक्स पोस्ट में अपने दिल की बात कही है। उन्होंने लिखा- ‘भारत का रहने वाला हूं… भारत की बात सुनाता हूं।’

तो वहीं पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद थरूर के बयानों ने पहले ही कांग्रेस नेतृत्व के साथ उनकी तनातनी को हवा दी थी। थरूर ने हाल ही में कहा था कि उनकी “पहली वफादारी” देश के साथ है।

थरूर की चुप्पी पर सवाल

वरिष्ठ सांसद और कूटनीतिक अनुभव के लिए मशहूर शशि थरूर इस बहस में शामिल नहीं हुए। जब बहस की शुरुआत हुई तो सभी की नजरें उन पर थीं, लेकिन थरूर का नाम वक्ताओं की सूची से नदारद देख राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई। खासकर इसलिए क्योंकि हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर दिए गए उनके बयान पहले ही कांग्रेस नेतृत्व के लिए असहजता का कारण बने थे।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ बहस में कांग्रेस का रवैया और उसके नेताओं की चुप्पी ने पार्टी को असमंजस की स्थिति में डाल दिया है। जहां सरकार अपनी उपलब्धियों को गिनाने में लगी है, वहीं कांग्रेस की अंदरूनी कलह ने विपक्ष की धार को कमजोर कर दिया है।

अच्छे नेताओं की कद्र नहीं करती है कांग्रेस?

जो भी घटनाक्रम संसद के भीतर और बाहर चल रहा है उसको लेकर चर्चाएं आम हो गई है। कोई कह रहा है कि समय रहते कांग्रेस अपने वरिष्ठ औऱ गंभीर नेताओँ की कद्र नहीं करती है जिसकी वजह से वो अपमान महसूस करते हैं इसी बात का फायदा फिर बीजेपी उठा लेती है।

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