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कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में किए गए जीएसटी कर व्यवस्था में सुधारों पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे “देर से उठाया गया सही कदम” बताया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे जीएसटी 1.5 करार दिया और कहा कि असली जीएसटी 2.0 की अभी भी प्रतीक्षा है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार किसानों पर मोदी सरकार ने टैक्स लगाया और कृषि क्षेत्र की कम से कम 36 वस्तुओं पर जीएसटी थोपा गया। दूध-दही, आटा-अनाज, यहां तक कि बच्चों की पेंसिल-किताबें, ऑक्सीजन, बीमा और अस्पताल के खर्च जैसी रोजमर्रा की चीजों पर भी जीएसटी थोपा।

कुल जीएसटी का दो-तिहाई यानी 64 प्रतिशत हिस्सा गरीबों-मध्यम वर्ग की जेब से आता है लेकिन अरबपतियों से केवल तीन प्रतिशत वसूला जाता है। कॉरपारेट टैक्स 30 से घटाकर 22 प्रतिशत कर दी गई है। पिछले पांच वर्षों में इनकम टैक्स वसूली में 240 प्रतिशत की वृद्धि तो जीएसटी वसूली में 177 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

कांग्रेस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर टिप्पणी

खरगे ने याद दिलाया कि 28 फरवरी 2005 को कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार ने लोकसभा में जीएसटी की औपचारिक घोषणा की थी। 2011 में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी जीएसटी बिल लेकर आए थे, लेकिन उस समय भाजपा और गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने इसका विरोध किया था।

बता दें कि, कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मोदी सरकार ने देश के इतिहास में पहली बार किसानों पर टैक्स लगाया और कृषि क्षेत्र की कम से कम 36 वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में शामिल किया। दूध-दही, आटा-अनाज, बच्चों की किताबें-पेंसिल, ऑक्सीजन सिलेंडर, बीमा और अस्पताल के खर्च जैसी रोजमर्रा की जरूरत की चीजों पर जीएसटी लगाने से आम जनता पर अतिरिक्त बोझ पड़ा।

वही, कांग्रेस का मानना है कि जीएसटी सुधार देर से ही सही, लेकिन जरूरी कदम है। हालांकि, इसे वह केवल जीएसटी 1.5 मानती है और असली जीएसटी 2.0 के लिए अभी भी संघर्ष जारी रहने की बात कह रही है। राज्यों को मुआवजा, गरीबों और किसानों पर टैक्स का बोझ कम करना और छोटे व्यवसायों को राहत देना—ये सब कदम तभी संभव होंगे जब सरकार जीएसटी ढांचे में बड़े और वास्तविक बदलाव करे। कांग्रेस ने साफ संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में वह इस मुद्दे को राजनीतिक और आर्थिक बहस के केंद्र में रखेगी।

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