संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 60वें सत्र में भारत ने पाकिस्तान पर जमकर हमला बोला और उसके निराधार बयानों को सिरे से खारिज कर दिया। जिनेवा में भारत के स्थायी मिशन के प्रतिनिधि क्षितिज त्यागी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने और झूठ फैलाने के बजाय अपनी जर्जर होती अर्थव्यवस्था को बचाने पर ध्यान देना चाहिए।
पाकिस्तान की बदहाल अर्थव्यवस्था पर भारत का तंज
भारत ने पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर तीखा वार करते हुए कहा कि उसकी अर्थव्यवस्था “आखिरी सांसें” ले रही है। IMF और अन्य संस्थानों से लगातार कर्ज लेने के बावजूद पाकिस्तान की वित्तीय हालत बद से बदतर हो चुकी है। महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी से जूझते आम नागरिकों पर बोझ लगातार बढ़ रहा है।
भारत ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को लेकर कहा है कि वह आखिरी सांस ले रहा है। शायद ये तब होगा जब पाकिस्तान को आतंकवाद का निर्यात करने, संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित आतंकवादियों को पनाह देने और अपने ही लोगों पर बमबारी करने से फुर्सत मिले।
पाकिस्तान की राजनीति सैन्य प्रभुत्व से दबी हुई है और मानवाधिकारों का रिकॉर्ड उत्पीड़न से दागदार है। त्यागी ने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को सार्वभौमिक, वस्तुनिष्ठ और गैर-चयनात्मक रहना चाहिए। उन्होंने परिषद में सामूहिक प्रयासों का भी आह्वान किया, जिससे विभाजन के बजाय एकता और रचनात्मक जुड़ाव को बढ़ावा मिले।
भारत की विदेश नीति हाल के वर्षों में और भी मुखर और सशक्त हुई है। पाकिस्तान के झूठे आरोपों का जवाब भारत न केवल ठोस तथ्यों के साथ देता है बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान के दोहरे रवैये को उजागर भी करता है। भारत ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र मंच से यह साबित कर दिया है कि वह आतंकवाद और झूठी बयानबाजी के खिलाफ किसी भी स्तर पर पीछे हटने वाला नहीं है।
भारत का यह कड़ा बयान पाकिस्तान के लिए एक और अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी है। जब पूरी दुनिया पाकिस्तान की बदहाल अर्थव्यवस्था और आतंकवाद पर उसकी भूमिका को लेकर सवाल उठा रही है, ऐसे में भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में दो टूक शब्दों में उसकी सच्चाई उजागर कर दी।