नेपाल में सितंबर महीने की शुरुआत से ही जिस जेन-जी आंदोलन ने राजनीतिक हलचल मचा दी थी, उस पर अब पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पहली बार खुलकर बयान दिया है। 8 और 9 सितंबर को हिंसक बने इस आंदोलन में 72 लोगों की मौत और 2100 से अधिक लोग घायल हुए थे। हालांकि नेपाल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर 51 मौतों की पुष्टि की है।
जानकारी दे दें कि, टेटिव ब्रेंडन लिंच और भारत के मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल के बीच हाल ही में हुई वार्ता के बाद प्रस्तावित है। 16 सितंबर को वाणिज्य मंत्रालय ने बताया था कि दोनों पक्षों के बीच जल्द समझौते को अंतिम रूप देने पर सहमति बनी।
वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने भी शुक्रवार को कहा कि बातचीत सकारात्मक और भविष्य की दिशा में बढ़ने वाली रही। वहीं, अमेरिका द्वारा ईरान के चाबहार पोर्ट पर लगी पाबंदियों से छूट खत्म करने के फैसले पर भारत ने चिंता जताई है। जायसवाल ने कहा, ‘हम इस फैसले के भारत पर असर का अध्ययन कर रहे हैं।’
जेन-जी आंदोलन: कैसे बढ़ा विवाद?
जेन-जी आंदोलन की शुरुआत 4 सितंबर को हुई थी। इसका कारण था नेपाल सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का फैसला। शुरुआत में आंदोलन शांतिपूर्ण था, लेकिन 8 और 9 सितंबर को यह हिंसक रूप ले बैठा।
- 72 मौतों का दावा (सरकारी आंकड़ा: 51 मौतें)
- 2100 से अधिक लोग घायल
- सिंह दरबार सचिवालय, सुप्रीम कोर्ट और कई सरकारी इमारतों में आगजनी
- नेपाल का नक्शा जलाया गया
भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर आगे बढ़ी बातचीत
नेपाल संकट के बीच, दक्षिण एशिया में एक और अहम खबर भारत और अमेरिका के बीच होने वाले द्विपक्षीय व्यापार समझौते की है।
भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल जल्द ही वॉशिंगटन की यात्रा पर जा सकते हैं। यह यात्रा समझौते को अंतिम रूप देने की दिशा में एक बड़ा कदम होगी। हाल ही में भारत के मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल और अमेरिका के असिस्टेंट ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव ब्रेंडन लिंच के बीच बातचीत हुई थी। इस वार्ता में कई मुद्दों पर सहमति बनी और 16 सितंबर को वाणिज्य मंत्रालय ने पुष्टि की कि समझौते को जल्द अंतिम रूप दिया जाएगा।
बता दें कि, एक तरफ नेपाल राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा से जूझ रहा है, तो दूसरी ओर भारत और अमेरिका अपने रिश्तों को आर्थिक और कूटनीतिक स्तर पर मजबूत करने की दिशा में बढ़ रहे हैं। नेपाल में ओली की सफाई और जांच की मांग यह संकेत देती है कि आने वाले समय में वहां की राजनीति में और हलचलें होंगी। वहीं, भारत-अमेरिका व्यापार समझौता क्षेत्रीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था को नया आयाम देने वाला साबित हो सकता है।
