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संसद के मानसून सत्र का आज आठवां दिन था और राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर लगातार दूसरे दिन चर्चा हुई। यह चर्चा मंगलवार को लोकसभा से शुरू हुई थी और अब उच्च सदन तक पहुंच चुकी है। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखे आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिले।

ऑपरेशन सिंदूर पर राज्यसभा में बहस मंगलवार को जबकि लोकसभा में शुरू हुई थी। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, जेडीयू सांसद संजय कुमार झा सहित कई सांसदों ने भाग लिया।

जयशंकर का कड़ा रुख

जयशंकर ने कहा कि भारत अब किसी भी स्थिति में पाकिस्तान को आतंकवाद फैलाने और शांति की बातें करने का दोहरा खेल खेलने की इजाजत नहीं देगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि “भारत ने हमेशा शांति की वकालत की है, लेकिन आतंक की छांव में शांति संभव नहीं। हमारा लक्ष्य केवल सीमाओं की सुरक्षा नहीं बल्कि देश की अखंडता को सुनिश्चित करना है।”

वही, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बहस में हिस्सा लेते हुए सरकार पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि “लीडरशिप का मतलब है जिम्मेदारी लेना, न कि किसी को दोष देना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में आकर सवालों का जवाब क्यों नहीं देते? पिछले 11 सालों में कभी भी उन्होंने बहस में हिस्सा लेना उचित नहीं समझा। लोकतंत्र में जनता से जवाबदेही सबसे अहम है।”

अमित शाह के समापन भाषण की चर्चा

सत्र के अंत में गृह मंत्री अमित शाह का समापन भाषण होने की संभावना जताई जा रही है। सूत्रों का कहना है कि शाह देश की आंतरिक सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी अभियान और सीमा पर हाल के घटनाक्रम पर व्यापक जानकारी दे सकते हैं। भाजपा के अनुसार, शाह का भाषण विपक्ष के सवालों और आरोपों का विस्तृत जवाब होगा।

राज्यसभा में चल रही बहस से यह स्पष्ट है कि ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य अभियान नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति का अहम हिस्सा है। जयशंकर के सख्त तेवर, खड़गे का आक्रामक रुख, नड्डा और शाह के संभावित भाषण—ये सब मिलकर इस बहस को ऐतिहासिक बना रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि संसद से निकला यह संदेश अंतरराष्ट्रीय मंचों पर किस रूप में गूंजता है और पाकिस्तान पर क्या दबाव बनाता है।

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