बरसात का मौसम भारतीय किसानों के लिए नई उम्मीदें लेकर आता है। खेतों में हरियाली की आस और अच्छी फसल का सपना किसान भाइयों को खरीफ की बुवाई के लिए प्रेरित करता है। इस मौसम में खासकर दलहनी फसलों की खेती किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध होती है। इन्हीं में से एक है उड़द, जिसे देश के अलग-अलग हिस्सों में माष या उड़द दाल के नाम से भी जाना जाता है।
सरकार भी किसानों को दलहनी फसलों की खेती के लिए बढ़ावा दे रही है. उड़द की खेती ना केवल पोषण से भरपूर दाल देती है बल्कि मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाती है. ऐसे में कम लागत में अधिक लाभ के लिए किसान इस खरीफ सीजन में उड़द की खेती को अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं.
सरकार भी दे रही है बढ़ावा
केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को दलहनी फसलों की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। उड़द जैसी फसलें पोषण से भरपूर होने के साथ-साथ जमीन की उर्वरता बढ़ाने में भी सहायक होती हैं। ये फसलें वायुमंडल से नाइट्रोजन लेकर मिट्टी में मिलाती हैं, जिससे अगली फसलों के लिए भी जमीन तैयार हो जाती है।
दलहनी फसलें भारतीय खानपान का अहम हिस्सा हैं। उड़द दाल की मांग हर मौसम में बनी रहती है। इसलिए बाजार में किसानों को इसकी उपज का उचित मूल्य मिलना लगभग तय है। जो किसान बरसात में धान जैसी अधिक खर्च वाली फसलें नहीं उगा पाते, उनके लिए उड़द एक बेहतरीन विकल्प है।
सरकार की आत्मनिर्भर कृषि की सोच को साकार करने में उड़द जैसी फसलें अहम भूमिका निभा रही हैं। किसानों के लिए यह फसल एक ऐसा विकल्प है जो कम पानी, कम लागत और कम समय में ज्यादा मुनाफा दिला सकती है।