दिवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम और राहत भरा फैसला सुनाया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली-एनसीआर के लोगों को सीमित अवधि के लिए ग्रीन पटाखे बेचने और जलाने की अनुमति दे दी है। यह अनुमति 18 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक के लिए दी गई है। इस आदेश के बाद लोगों में खुशी की लहर है, क्योंकि लंबे समय से पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध के कारण त्योहार का रंग फीका पड़ गया था।
ता दें कि जब बैन लगाया गया था, तब कोविड पीरियड को छोड़कर एयर क्वालिटी में ज्यादा फर्क नहीं पड़ा था। अर्जुन गोपाल केस में फैसले के बाद ग्रीन क्रैकर्स का कॉन्सेप्ट लाया गया। छह सालों में ग्रीन क्रैकर्स ने एमिशन को काफी कम कर दिया है। इसमें एनईईआरआई (NEERI) का भी योगदान रहा है। 14.10.2024 से 1.1.2025 तक इन्हें बनाने पर पूरा बैन लगा दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला — परंपरा और पर्यावरण के बीच संतुलन
सुप्रीम कोर्ट की दो-न्यायाधीशों की पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन शामिल थे, ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि न्यायालय त्योहार की परंपरा को पूरी तरह समाप्त नहीं करना चाहता, बल्कि पर्यावरणीय जिम्मेदारी और परंपरा के बीच एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहता है।
हरियाणा और एनसीआर के जिलों पर प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में आने वाले हरियाणा के 22 में से 14 जिले इस निर्णय के दायरे में आएंगे। यानी, इन जिलों में भी लोग 18 से 21 अक्टूबर के बीच ग्रीन पटाखे जला सकते हैं। यह फैसला उत्तर प्रदेश और राजस्थान के एनसीआर क्षेत्रों पर भी लागू होगा।
इस फैसले के बाद दिल्ली-एनसीआर में दिवाली को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह है। सोशल मीडिया पर लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि अब दिवाली फिर से “रोशनी और खुशी” से भरी होगी। वहीं, पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने यह उम्मीद जताई कि लोग केवल ग्रीन पटाखों का ही जिम्मेदारी से इस्तेमाल करेंगे।
बता दें कि, अदालत का यह फैसला केवल राहत का प्रतीक नहीं, बल्कि नागरिकों के लिए एक जिम्मेदारी की याद दिलाता है। ग्रीन पटाखों के उपयोग से जहां त्योहार की खुशी बनी रहेगी, वहीं पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचेगा। जरूरत है कि लोग अपने स्तर पर संयम, जागरूकता और जिम्मेदारी दिखाएं ताकि दिवाली वास्तव में “हरित और स्वच्छ” बन सके।
