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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर कड़ी चेतावनी दी है। बुधवार को हुई प्रेस ब्रीफिंग के दौरान ट्रम्प ने साफ शब्दों में कहा कि अगर पुतिन 15 अगस्त को होने वाली बैठक के बाद भी जंग खत्म करने पर राजी नहीं होते हैं, तो उन्हें गंभीर नतीजों का सामना करना पड़ेगा। यह बयान ऐसे समय आया है, जब यूक्रेन में चल रही जंग को साढ़े तीन साल पूरे हो चुके हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे खत्म करने के प्रयास तेज़ हो गए हैं।

मीटिंग में ट्रम्प ने कहा कि जंग को खत्म करने के लिए दोनों पक्षों को जमीन की अदला-बदली करनी पड़ सकती है। इस पर यूरोपीय नेताओं ने ट्रम्प को समझाने की कोशिश की कि 15 अगस्त को उनकी रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ होने वाली मुलाकात में ऐसा कोई समझौता न हो, जिससे यूक्रेन को नुकसान पहुंचे। जेलेंस्की ने बैठक के दौरान कहा कि पुतिन धोखा दे रहे हैं। वो यह दिखावा कर रहे हैं कि पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का उन पर कोई असर नहीं पड़ रहा हैं और ये कारगर नहीं हैं।

जेलेंस्की ने बैठक में कहा कि पुतिन पश्चिमी देशों को यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि प्रतिबंधों का उन पर कोई असर नहीं हो रहा है, लेकिन वास्तव में यह एक छलावा है। उन्होंने दावा किया कि पुतिन की असली मंशा युद्ध को लंबा खींचने और यूक्रेन के बड़े हिस्से पर नियंत्रण पाने की है।

अंतरराष्ट्रीय दबाव और कूटनीतिक चुनौती

ट्रम्प के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे पुतिन के साथ बातचीत में ऐसा रास्ता निकालें, जो न केवल युद्ध को समाप्त करे बल्कि पश्चिमी देशों और यूक्रेन के लिए भी स्वीकार्य हो। अमेरिकी प्रशासन पर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दबाव है कि वह एक निष्पक्ष मध्यस्थ की भूमिका निभाए और रूस के पक्ष में झुके बिना समझौता करवाए।

ट्रम्प और पुतिन की यह मुलाकात न केवल यूक्रेन युद्ध बल्कि वैश्विक राजनीति के लिए भी निर्णायक साबित हो सकती है। एक तरफ यह अवसर है कि जंग को खत्म कर लाखों लोगों की जान बचाई जा सके, वहीं दूसरी तरफ यह जोखिम भी है कि किसी असंतुलित समझौते से यूक्रेन की संप्रभुता पर आंच आ सकती है। अब पूरी दुनिया की निगाहें 15 अगस्त को अलास्का में होने वाली इस ऐतिहासिक मुलाकात पर टिकी हैं।

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