अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हालिया बयान ने भारत और अमेरिका के बीच कूटनीतिक हलचल बढ़ा दी है। ट्रम्प ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। हालांकि भारत सरकार ने इस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प के बीच हाल में कोई बातचीत नहीं हुई है।
बता दें कि, ट्रम्प ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए यह भी कहा कि, हाल में भारत में अमेरिकी राजदूत बनने जा रहे सर्जियो गोर और पीएम मोदी की मुलाकात हुई थी इस मीटिंग के बाद सर्जियो ने मुझे बताया कि, वे (मोदी) ट्रम्प से प्यार करते हैं, हालांकि मैं चाहूंगा कि यहां प्यार शब्द का गलत मतलब न निकालें, मैं किसी का पॉलिटिकल करियर खराब नहीं करना चाहता।
ट्रम्प का दावा—‘मोदी ने मुझसे कहा, भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा’
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में उनसे बातचीत में यह भरोसा दिया कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद करेगा।
ट्रम्प ने कहा था,
“मैं भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने से खुश नहीं था। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने मुझे बताया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। हमें अब चीन से भी यही करवाना होगा।”
इस बयान के बाद भारत में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मच गई। कई अमेरिकी मीडिया संस्थानों ने भी इस बयान को प्रमुखता से प्रसारित किया था।
ट्रेड वॉर की आशंका
भारत और अमेरिका के बीच पिछले कुछ महीनों में व्यापारिक तनाव बढ़ा है। अमेरिकी टैरिफ के जवाब में भारत ने भी कुछ अमेरिकी उत्पादों पर काउंटर-टैरिफ लगाने का इशारा किया है। यदि बातचीत से समाधान नहीं निकला, तो यह विवाद एक नई ट्रेड वॉर में बदल सकता है, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारत-अमेरिका संबंधों में स्थिरता बनाए रखना दोनों देशों के लिए जरूरी है, क्योंकि दोनों लोकतांत्रिक और आर्थिक दृष्टि से रणनीतिक साझेदार हैं।
बता दें कि, भारत ने साफ कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प के बीच किसी तरह की बातचीत नहीं हुई। ट्रम्प का दावा पूरी तरह निराधार है। भारत का कहना है कि उसकी ऊर्जा नीति स्वतंत्र है और किसी बाहरी दबाव में नहीं बनती। वहीं ट्रम्प के बयान ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या अमेरिका अपने रणनीतिक साझेदारों के साथ विश्वास बनाए रख पाएगा या नहीं। फिलहाल दोनों देशों के बीच संवाद जारी है, लेकिन यह घटना आने वाले महीनों में द्विपक्षीय संबंधों की दिशा तय कर सकती है।