भारत में पशुपालन और डेयरी क्षेत्र किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यह न केवल लाखों परिवारों की आजीविका का साधन है बल्कि देश की कुल GDP में 5.5% और कृषि GDP में 30% से अधिक योगदान भी करता है। ऐसे परिदृश्य में जब पशुधन और पालतू जानवरों की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने की बात होती है, तो अब तक एक बड़ी कमी यह रही कि जानवरों के लिए रक्तदान और ब्लड ट्रांसफ्यूजन से जुड़ी कोई व्यवस्थित गाइडलाइन मौजूद नहीं थी।
किसानों और ग्रामीण भारत को लाभ
पशुपालन सीधे तौर पर किसानों की आय से जुड़ा है। दूध उत्पादन, पशु बिक्री और अन्य पशु-आधारित उत्पाद ग्रामीण परिवारों के लिए आय का बड़ा स्रोत हैं। लेकिन कई बार बीमारियों या प्रसव के दौरान पशुओं की जान चली जाती थी, जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता था।
पशु चिकित्सा विज्ञान में प्रगति
भारत में पशु चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान लगातार प्रगति कर रहा है। कई वेटरनरी कॉलेज और अनुसंधान संस्थान नए प्रयोग कर रहे हैं। SOP के आने से अब इन संस्थानों को ब्लड बैंकिंग और ट्रांसफ्यूजन पर शोध करने का अवसर मिलेगा। इससे आने वाले वर्षों में पशु चिकित्सा विज्ञान में भारत आत्मनिर्भर और वैश्विक स्तर पर अग्रणी बन सकता है।
मनुष्य की तरह ही जानवरों का जीवन भी बहुमूल्य है। उनकी देखभाल और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाना न केवल नैतिक जिम्मेदारी है बल्कि किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती से भी जुड़ा है। पशुपालन मंत्रालय की यह ऐतिहासिक पहल — ब्लड बैंक और ट्रांसफ्यूजन SOP — निश्चित ही भारत में पशु चिकित्सा विज्ञान की दिशा बदलने वाली है।