पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है। राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आमने-सामने हैं। सोमवार को तृणमूल कांग्रेस ने इस प्रक्रिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है, जिसमें दावा किया गया है कि यह कदम जल्दबाजी में उठाया गया है और इससे वैध मतदाताओं के नाम भी सूची से हट सकते हैं।
बता दें कि तृणमूल कांग्रेस शुरू से ही राज्य में एसआइआर का विरोध कर रही है। यह दावा करते हुए कि इसके पीछे राज्य में एनआरसी लागू करने की भाजपा और केंद्र सरकार की साज़िश है। दूसरी ओर, भाजपा का दावा है कि तृणमूल कांग्रेस एसआईआर का इसलिए विरोध कर रही है कि इसके लागू होने से अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए जाएंगे।
टीएमसी की याचिका में कहा गया है कि बंगाल में मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया जिस तेजी से शुरू की गई है, उससे गलतियों की संभावना बढ़ गई है। पार्टी ने यह आशंका जताई है कि कई वैध मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हट सकते हैं, जिससे लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन होगा।याचिका में यह भी कहा गया है कि निर्वाचन आयोग ने चार नवंबर से शुरू की गई एसआईआर प्रक्रिया में कई प्रशासनिक और तकनीकी खामियों को नजरअंदाज कर दिया है। इसीलिए टीएमसी का आग्रह है कि सुप्रीम कोर्ट इस प्रक्रिया पर रोक लगाए, जब तक कि अदालत इस मामले पर अपना फैसला नहीं दे देती।
बता दें कि, SIR (Special Intensive Revision) यानी मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण, चुनाव आयोग की एक नियमित प्रक्रिया है, जिसके तहत हर राज्य में समय-समय पर मतदाता सूची को अपडेट किया जाता है। इसका मकसद मृत, दोहरे या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाना और नए पात्र मतदाताओं को सूची में जोड़ना होता है।हालांकि, बंगाल में यह प्रक्रिया अचानक और व्यापक स्तर पर शुरू की गई है, जिससे राजनीतिक विवाद बढ़ गया है। टीएमसी का आरोप है कि इसे एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) की तर्ज पर लागू किया जा रहा है ताकि राज्य के अल्पसंख्यक समुदायों को डराया जा सके।
