बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राज्य का राजनीतिक तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। चुनावी रैलियों और प्रचार के बीच अब विवादों और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तेज हो गया है। इसी कड़ी में राजद (राष्ट्रीय जनता दल) के प्रत्याशी लल्लू मुखिया समेत छह लोगों पर गंभीर आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की गई है। वहीं, राजद नेता तेजस्वी यादव की चुनावी सभा में आचार संहिता के उल्लंघन की जांच भी शुरू हो गई है, जिससे बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है।
संवाद सहयोगी, बाढ़। बाढ़ अनुमंडल के विभिन्न थानों की पुलिस द्वारा अपने-अपने थाना क्षेत्रों में लगातार फ्लैग मार्च कराया जा रहा है, ताकि लोग निर्भीक होकर मतदान कर सकें। पुलिस ने लोगों को भरोसा दिलाया है कि किसी के झांसे में आकर या किसी के दबाव में मतदान न करें। वहीं, पंडारक पुलिस ने अपने थाना क्षेत्र में बाइक से रैली के रूप में पुलिसकर्मियों को कई गांवों में भेजा और लोगों से निर्भीक होकर मतदान करने की अपील की।
लल्लू मुखिया ने आरोपों को बताया बेबुनियाद
राजद प्रत्याशी लल्लू मुखिया ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से राजनीतिक साजिश है। मुखिया ने कहा, “पंडारक मेरा क्षेत्र नहीं है। मेरा विधानसभा क्षेत्र केवल ढिबर पंचायत तक सीमित है। मैं पिछले आठ दिनों से पंडारक नहीं गया हूं। मेरे साथ हमेशा चुनाव आयोग द्वारा दिया गया अंगरक्षक रहता है, इसलिए इस तरह के आरोपों का कोई आधार नहीं है।”
उन्होंने कहा कि विरोधी दल उनके जनाधार को देखते हुए झूठे आरोपों के माध्यम से उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि पुलिस और चुनाव आयोग निष्पक्ष जांच करेंगे और सच्चाई सामने आएगी।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और माहौल
इन घटनाओं के बाद राज्य में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। राजद नेताओं ने कहा कि उनके प्रत्याशियों को झूठे मामलों में फंसाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। वहीं, एनडीए नेताओं का कहना है कि यह राजद की पुरानी शैली है जिसमें वोटरों को डराकर समर्थन हासिल करने की कोशिश की जाती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा, इस तरह की घटनाएं और बढ़ सकती हैं, लेकिन प्रशासन और चुनाव आयोग की सख्ती से स्थिति नियंत्रण में रहेगी।
बता दें कि, बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण से पहले ही राज्य की राजनीति गर्म हो गई है। एक ओर जहां नेताओं पर आचार संहिता उल्लंघन और मतदाताओं पर दबाव डालने जैसे आरोप लग रहे हैं, वहीं प्रशासन और चुनाव आयोग पूरी सतर्कता के साथ स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। आने वाले दिनों में जांच की दिशा और कार्रवाई यह तय करेगी कि बिहार में लोकतंत्र की परीक्षा कैसी होती है — निष्पक्षता की मिसाल बनेगी या फिर विवादों का अखाड़ा।
