समाचार मिर्ची

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पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि महिलाएं अब ‘साइलेंट वोटर’ नहीं, बल्कि ‘गेमचेंजर’ हैं। रिकॉर्ड 71.78% महिला मतदान ने न केवल कुल टर्नआउट को 67.13% तक पहुंचाया, बल्कि एनडीए को भारी बहुमत दिलाने में निर्णायक भूमिका निभाई। पुरुषों के 62.98% टर्नआउट से 9% ज्यादा महिलाओं ने धूप-धूल में लाइनें लगाईं और अपना फैसला सुनाया।

महिला वोट का ‘जलवा’: आंकड़ों की कहानी

53-55% महिला वोटर वाले जिलों* में एनडीए का वोट शेयर महागठबंधन से कहीं ज्यादा रहा। आठ जिलों (53 सीटें) में महिलाओं का हिस्सा 53% से ऊपर था, जहां एनडीए ने क्लीन स्वीप किया।

नीतीश कुमार की ‘महिला हितकारी योजनाएं’ बनीं जादू की छड़ी। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत 10,000 रुपये की नकद सहायता, कौशल विकास, क्रेडिट एक्सेस और स्वयं सहायता समूह (SHG) ने महिलाओं को सीधे जोड़ा। सितंबर 2025 में पीएम मोदी द्वारा लॉन्च इस योजना ने जाति-धर्म की दीवारें तोड़ीं।

पुरुषों से आगे निकलीं महिलाएं: 2010 से चली आ रही ट्रेंड को पार करते हुए, महिलाओं का टर्नआउट पुरुषों से ज्यादा रहा—एक ऐतिहासिक बदलाव, जो स्थानीय निकायों में 50% आरक्षण की देन है।

पिछले चुनावों में भी ‘महिला जादू’ का कमाल—मध्यप्रदेश ने दिखाया रास्ता

बिहार की महिलाएं पहली बार नहीं चमकीं। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 ने ‘महिला शक्ति’ का शानदार उदाहरण पेश किया, जहां महिलाओं का टर्नआउट 76% तक पहुंचा—पुरुषों से 4% ज्यादा।

मध्यप्रदेश 2023: ‘लाड़ली बहना योजना’ ने गेम चेंज किया। 1.31 करोड़ महिलाओं को 1,000 रुपये मासिक सहायता ने बीजेपी को 7% स्विंग दिलाया, वोट शेयर 50% पर पहुंचा। 29 सीटों पर महिलाएं पुरुषों से ज्यादा थीं, और 44 सीटों पर महिलाओं का टर्नआउट ऊंचा रहा—जिसने बीजेपी की ऐतिहासिक जीत सुनिश्चित की। वोटर सेक्स रेशियो 945 तक पहुंचा, जो 2018 के 917 से दोगुना सुधार था।

महाराष्ट्र-झारखंड 2024: ‘मैया सम्मान’ जैसी योजनाओं ने महिलाओं को एनडीए की ओर खींचा, जहां फीमेल टर्नआउट ने गेम पलट दिया।

उत्तर प्रदेश 2022: टॉयलेट निर्माण और महिला कल्याण योजनाओं से बीजेपी ने महिला वोट बैंक मजबूत किया, जिसका फायदा विधानसभा में दिखा।

2024 लोकसभा: बिहार में भी महिलाओं का 48.2% वोट शेयर एनडीए को मिला, जो अब 2025 में 47.6% पर स्थिर रहा।

विश्लेषकों का मानना है कि विपक्ष की नकद ट्रांसफर वाली रणनीति महिलाओं को आकर्षित नहीं कर पाई, जबकि एनडीए की ‘सुरक्षा, स्वावलंबन और कल्याण’ वाली अप्रोच ने काम किया। जेडीयू को सबसे ज्यादा फायदा हुआ, जहां महिला वोट ने एंटी-इनकंबेंसी को झेला। मध्यप्रदेश का ‘लाड़ली बहना’ मॉडल बिहार की योजनाओं के लिए प्रेरणा बना।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

महिलाएं अब बिहार और मध्यप्रदेश की राजनीति की ‘फीनिक्स’ हैं—हर चुनाव में नई ताकत के साथ उभर रही हैं।

एनडीए की इस जीत ने न केवल नीतीश कुमार को 2030 तक मजबूत किया, बल्कि पूरे देश के लिए महिला-केंद्रित राजनीति का संदेश दिया। अब सवाल ये है—क्या विपक्ष भी ‘महिला शक्ति’ को समझेगा?

बिहार और मध्यप्रदेश की महिलाओं ने साबित कर दिया: वोट सिर्फ संख्या नहीं, शक्ति है!

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