पटना बिहार की राजनीति में बुधवार का दिन ऐतिहासिक और बेहद अहम माना जा रहा है। राज्य में नई एनडीए सरकार के गठन की तैयारियां पूरी रफ़्तार से आगे बढ़ रही हैं। कई दौर की बैठकों और चर्चा के बाद आखिरकार मुख्यमंत्री पद पर नीतीश कुमार के नाम पर एक बार फिर सहमति बन गई है। जेडीयू की विधायक दल की बैठक में नीतीश कुमार को सर्वसम्मति से नेता चुन लिया गया। इसके साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि वे 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। वहीं, बीजेपी की विधायकों की बैठक में सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता चुना गया, जबकि विजय सिन्हा को उपनेता की जिम्मेदारी दी गई है। इन दोनों नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका नई सरकार के गठन में देखने को मिलेगी।
सीएम कौन होंगे? मंत्रिमंडल में किसे जगह मिलेगी, पावर शेयरिंग का फॉर्मूला क्या रहेगा, किस सहयोगी दल को कितने मंत्री मिलेंगे और मंत्रालयों का बंटवारा किस तरह होगा. विधानसभा अध्यक्ष पद से लेकर पूरी सत्ता की तस्वीर आज स्पष्ट हो सकती है
नई सरकार के गठन का निर्णायक दिन
बुधवार सुबह से ही पटना में सियासी हलचल तेज हो गई थी। जेडीयू, बीजेपी और एनडीए के अन्य सहयोगी दलों की बैठकों की श्रृंखला शुरू हो चुकी थी। इन बैठकों में न केवल मुख्यमंत्री पद पर मुहर लगनी थी, बल्कि नई सरकार की पूरी संरचना तय होनी थी।
राज्य की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि आखिर मंत्रिमंडल का स्वरूप कैसा होगा, किसे कौन-सा मंत्रालय मिलेगा और डिप्टी सीएम के रूप में किस नेता का नाम सामने आएगा।
एनडीए के घटक दलों के बीच पावर-शेयरिंग को लेकर भी चर्चा जारी थी। खासतौर पर यह देखना महत्वपूर्ण था कि जेडीयू और बीजेपी के बीच मंत्रालयों का बंटवारा किस फॉर्मूले के आधार पर होगा। बिहार की राजनीति में यह कोई नई बात नहीं है कि मंत्रिमंडल का गठन संतुलन, गठबंधन धर्म और जातीय-सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है।
बता दें कि, बिहार में एक बार फिर गठबंधन की राजनीति अपने चरम पर है। नीतीश कुमार का अनुभव, बीजेपी की राजनीतिक ताकत और एनडीए की आंतरिक एकजुटता इस सरकार को मजबूत आधार देती दिखाई दे रही है।अब देखना यह होगा कि सत्ता में आने के बाद नई सरकार जनता की अपेक्षाओं पर कितनी खरी उतरती है और विकास के मोर्चे पर क्या नए कदम उठाती है। बुधवार का दिन बिहार की राजनीतिक दिशा तय करने वाला साबित हुआ है —
