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उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में हाल ही में आई भीषण क्लाउडबर्स्ट आपदा ने न केवल जन-धन का भारी नुकसान किया बल्कि इस पर नेताओं के विवादित बयानों ने राजनीतिक माहौल को भी गर्मा दिया है। इस प्राकृतिक त्रासदी को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन और सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है। दोनों नेताओं के बीच हुए इस टकराव ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है, खासकर इसलिए क्योंकि कांग्रेस और सपा एक समय गठबंधन के साझेदार रह चुके हैं।

इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने तीखी टिप्पणी की. मसूद ने कहा, “मानसिक रूप से परेशान लोग ही ऐसे बयान देते हैं. उन्हें अल्लाह का डर होना चाहिए और ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए जो नफरत फैलाएं.” मसूद के इस बयान ने सपा और कांग्रेस के बीच तनाव को और बढ़ा दिया, क्योंकि दोनों दल उत्तर प्रदेश में गठबंधन का हिस्सा रहे हैं.

इमरान मसूद का पलटवार

एसटी हसन के इस बयान पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “मानसिक रूप से परेशान लोग ही ऐसे बयान देते हैं। उन्हें अल्लाह का डर होना चाहिए और ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए जो समाज में नफरत फैलाएं।”

जानकारी दें दें कि, मसूद ने आगे कहा कि प्राकृतिक आपदाओं का संबंध विज्ञान, मौसम परिवर्तन और भौगोलिक परिस्थितियों से है, न कि किसी धार्मिक संरचना के टूटने या बनने से। उन्होंने आगाह किया कि नेताओं को अपने शब्दों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, क्योंकि उनका

वही, इस पूरे मामले पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जबरदस्त बहस छिड़ गई है। जहां कुछ लोग एसटी हसन के बयान को धार्मिक भावनाओं के बचाव में सही ठहरा रहे हैं, वहीं अधिकतर लोग इसे ‘आपदा का राजनीतिकरण’ बता रहे हैं।

धराली आपदा जैसी घटनाएं मानवीय त्रासदी होती हैं, जिन पर सभी को राजनीति से ऊपर उठकर काम करना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से, अक्सर इस तरह के हादसे भी राजनीतिक बयानबाज़ी का मंच बन जाते हैं। एसटी हसन और इमरान मसूद के बीच हुई यह जुबानी जंग इसी प्रवृत्ति का एक और उदाहरण है।

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