समाचार मिर्ची

समाचार मिर्ची: सबसे तेज़ खबरें, हर पल ताज़ा विश्वसनीय समाचार, हर नजरिए से सही देश-दुनिया की सबसे ताज़ा खबरें खबरें जो आपको बनाए रखें अपडेट राजनीति से लेकर खेल तक, सबकुछ आपको मिलेगा तेज और विश्वसनीय खबरें, बस एक क्लिक दूर हर पल की ताज़ी खबर, बिना किसी झोल के खबरें जो आपको चौंका दें, हर बार जानिए हर अपडेट, सबसे पहले और सबसे सही जहाँ सच्चाई और ताजगी मिलती है

समाचार मिर्ची: सबसे तेज़ खबरें, हर पल ताज़ा विश्वसनीय समाचार, हर नजरिए से सही देश-दुनिया की सबसे ताज़ा खबरें खबरें जो आपको बनाए रखें अपडेट तेज और विश्वसनीय खबरें, बस एक क्लिक दूर हर पल की ताज़ी खबर, बिना किसी झोल के खबरें जो आपको चौंका दें, हर बार जानिए हर अपडेट, सबसे पहले और सबसे सही जहाँ सच्चाई और ताजगी मिलती है

लखनऊ। ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले पर वाराणसी जिला जज की अदालत के सोमवार को दिए गए फैसले पर कई तरह के रिएक्शन सामने आ रहे हैं। मुस्लिम पक्ष ने इस पर चिंता जाहिर की है। वाराणसी के जिला जज ए. के. विश्वेश की अदालत ने ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पोषणीयता को चुनौती देने वाले मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि यह मामला उपासना स्थल अधिनियम और वक्फ अधिनियम के लिहाज से वर्जित नहीं है, लिहाजा वह इस मामले की सुनवाई जारी रखेगी। मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। हालांकि ज्ञानवापी पर अदालत के फैसले के बाद हिंदू समाज में खुशी की लहर है।

मुस्लिम आक्रांताओं का हिंदूओं की आस्था पर प्रहार

जब मुस्लिम आक्रांता देश में आए तो उन्‍होंने कई मंदिरों को तोड़कर मस्जिदों का निर्माण कराया। इसके इस्‍लाम धर्म इस तरह के कार्य को गलत माना जाता है, मगर तब भी मंदिरों को तोड़कर मस्जिदों का निर्माण कराया।
1669 में औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर का एक हिस्सा तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी। इतिहासकार भी इसके सबूत देते हैं कि 14वीं सदी में जौनपुर के शर्की सुल्तान ने मंदिर को तुड़वाकर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी। मस्जिद और विश्वनाथ मंदिर के बीच 10 फीट गहरा कुआं है, जिसे ज्ञानवापी कहा जाता है। इसी कुएं के नाम पर मस्जिद का नाम पड़ा। स्कंद पुराण में कहा गया है कि भगवान शिव ने स्वयं लिंगाभिषेक के लिए अपने त्रिशूल से ये कुआं बनाया था। शिवजी ने यहीं अपनी पत्नी पार्वती को ज्ञान दिया था, इसलिए इस जगह का नाम ज्ञानवापी या ज्ञान का कुआं पड़ा। किंवदंतियों, आम जनमानस की मान्यताओं में यह कुआं सीधे पौराणिक काल से जुड़ता है।

उमा भारती ने संसद में सुनाई थी कबूतर की कहानी

9 सितंबर 1991 को भाजपा की हमारी वरिष्ठ नेता उमा भारती जी ने ज्ञान वापी को लेकर आवाज उठाई थी… उन्होंने कबूतर की एक कहानी सुनाई थी…।

कि कबूतर जब बिल्ली को देखता है तो वह जानता है कि बिल्ली उसे खा जाएगी। बिल्ली को कबूतर बहुत स्वादिष्ट लगता है। कबूतर इतना भोला और नादान होता है कि वह सोचता है कि आंखें बंद कर लूंगा तो बिल्ली दिखेगी नहीं। इस तरह से बिल्ली उसको खा जाती है। 1947 की स्थिति में धार्मिक स्थलों को बनाए रखना, यानी कबूतर की तरह बिल्ली से आंखें मूंदना है। द प्लेसेज ऑफ वर्शिप बिल, 1991 का विरोध करते हुए BJP नेता उमा भारती ने लोकसभा में ये बातें कही थीं। उन्होंने बहस के दौरान काशी की ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा भी उठाया था।

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version