बिहार में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद सरकार गठन की प्रक्रिया जोरों पर है। 20 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में एनडीए शासन की शपथ ग्रहण समारोह तय है, और इसी बीच यह सवाल उठ रहा है — क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार भी पुरानी टीम पर भरोसा करेंगे या मंत्रिमंडल में नए चेहरे और नए समीकरण देखने को मिलेंगे? राजनीतिक गलियारों में “ओल्ड इज़ गोल्ड” के बजाय बदलाव की उम्मीदें भी कम नहीं हैं।
बिहार में बीजेपी कोटे से बनाए जाने वाले मंत्रियों के नाम पर दिल्ली में मंथन चल रहा है. नीतीश सरकार की मौजूदा सरकार में 22 मंत्री बीजेपी कोटे से थे,कैबिनेट बनाते समय जातीय संतुलन को खासी तवज्जो दी जा रही है। जेडीयू और BJP दोनों ही पार्टनर इस बार विभिन्न समाज-समूहों का समावेश करने की रणनीति बना रहे हैं।
महिला प्रतिनिधित्व का भी ध्यान
कुछ रिपोर्ट्स में यह कहा गया है कि महिलाओं को नई कैबिनेट में शामिल करने की योजना है।
एनडीए के एक वरिष्ठ सूत्र ने बताया कि महिलाओं ने भी चुनावी मोर्चे पर अहम योगदान दिया था, और सरकार उन्हें उचित प्रतिनिधित्व देकर समाज में अपनी प्रतिबद्धता दिखाना चाहेगी।
बता दें कि, नीतीश कुमार की आगामी कैबिनेट न सिर्फ “पूरानी टीम” की दोहराव होगी, बल्कि नए समीकरणों और सामाजिक समावेश का प्रतिबिंब भी दिखाएगी। एनडीए के भीतर मंत्री-पदों की हिस्सेदारी, जातीय और क्षेत्रीय संतुलन के विचार, और महिला प्रतिनिधित्व की योजनाएं यह संकेत देती हैं कि इस बार कैबिनेट “रणनीतिक रूप से उतरा हुआ” होगा — न सिर्फ सत्ता को बनाए रखने के लिए, बल्कि अगले पांच सालों के लिए एक मजबूत और जिम्मेदार सरकार की नींव रखने के लिए।
