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खेती करने वालों के लिए मिसाल वाली खबर सामने आई है।किसान ने यह साबित कर दिया कि, खेती करके भी लाखों कमाए जा सकते हैं। किसान ने यह साबित कर दिया कि, सोच बड़ी हो और इरादे मजबूत तो कुछ भी असंभव नही हैं जैविक खेती से लाखो कमाना बड़ी बात हैंजो लोग खेत छोड़कर शहरो मे पैसा कमाने जाते है अनके लिए ये एक मिसान और सिख वाली खबर है।

महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के कुर्डवाडी गांव में जन्मे सागर खरे ने यह साबित कर दिया कि अगर सोच बड़ी हो और इरादे मजबूत, तो खेती भी किसी कॉर्पोरेट करियर से कम नहीं हो सकती। एक समय अमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनी Adient में प्रोजेक्ट इंजीनियर के पद पर कार्यरत रहे सागर ने 2019 में जब यह नौकरी छोड़ी, तो किसी ने नहीं सोचा था कि वह कुछ ही वर्षों में खेती के क्षेत्र में एक मिसाल बन जाएंगे।जो आज सबके लिए एक प्रेरणा बन कर सामने आए है ।

अमेरिका से गांव लौटने का सफर

बता दें कि, सागर खरे की प्रारंभिक शिक्षा कुर्डवाडी में हुई और बाद में उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें अमेरिका की जानी-मानी कंपनी Adient में प्रोजेक्ट इंजीनियर की नौकरी मिली। लेकिन दो साल बाद, उन्होंने देश और अपनी माटी से जुड़ने का फैसला किया और खेती को अपना करियर बना लिया।

पारंपरिक खेती से नहीं थी कमाई

वापस लौटने के बाद उन्होंने अपने परिवार की पारंपरिक गन्ना, गेहूं और चने की रासायनिक खेती को नजदीक से देखा। सागर को समझ आ गया कि रासायनिक खेती न केवल जमीन की उर्वरता को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि आर्थिक रूप से भी लाभकारी नहीं है।

खरे ने जैविक खेती पर रिसर्च शुरू की और पाया कि मोरिंगा (जिसे सहजन या ड्रमस्टिक भी कहा जाता है) न केवल पोषण से भरपूर है, बल्कि इसकी बाजार में भारी मांग भी है। खासकर सोलापुर की गर्म जलवायु इस फसल के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। उन्होंने एक एकड़ में मोरिंगा की पत्तियों और चार एकड़ में फली की खेती शुरू की।

जैविक तरीके से खेती और प्रसंस्करण

सागर ने अपने खेतों में किसी भी प्रकार के रासायनिक उर्वरक या कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया। उन्होंने गोबर खाद, नीम तेल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के सहारे खेती की शुरुआत की। पत्तियों को सुखाकर मोरिंगा पाउडर तैयार किया जाता है, जो घरेलू बाजार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बेचा जाता है।

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