नई दिल्ली। भारतीय किसान अब पारंपरिक खेती के साथ-साथ तकनीक आधारित खेती की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं। आज के दौर में स्मार्ट बागवानी (डिजिटल हार्टिकल्चर) एक क्रांतिकारी नवाचार के रूप में तेजी से उभर रही है, जो न केवल उत्पादन को दोगुना करने की क्षमता रखता है, बल्कि खेती को टिकाऊ और अधिक लाभकारी भी बना रहा है। इस नवाचार ने भारतीय किसानों के सपनों को उम्मीदों के पंख लगा दिए हैं।
स्मार्ट बागवानी समय की जरूरत
स्मार्ट बागवानी खेती का वह आधुनिक तरीका है, जिसमें सेंसर और तकनीकी उपकरणों के जरिए मिट्टी की नमी, तापमान और पोषण स्तर की सटीक निगरानी की जाती है। इसके तहत जरूरत के अनुसार ही पानी, खाद और कीटनाशकों का उपयोग होता है, जिससे संसाधनों की बचत के साथ उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ती है और लागत कम होती है। इसका लक्ष्य है—उत्पादकता बढ़ाना, संसाधनों का बेहतर उपयोग और पर्यावरण संरक्षण।
भारत में स्मार्ट बागवानी की स्थिति
भारत में अभी जागरूकता और संसाधनों की कमी के कारण स्मार्ट बागवानी का दायरा सीमित है, लेकिन प्रगतिशील किसान और राज्य इस दिशा में उल्लेखनीय काम कर रहे हैं। पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में कई किसानों ने स्मार्ट ग्रीनहाउस, ड्रिप सिंचाई और सेंसर आधारित निगरानी प्रणाली अपनाकर मिसाल कायम की है। ये तकनीकें न केवल फसल की पैदावार बढ़ा रही हैं, बल्कि पानी और खाद जैसे संसाधनों की बर्बादी भी रोक रही हैं।
भविष्य के लिए गेमचेंजर साबित होगी स्मार्ट बागवानी
स्मार्ट बागवानी भारतीय कृषि के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है। जब खेती की लागत बढ़ रही है और जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक संसाधन सीमित हो रहे हैं, तब यह तकनीक उत्पादन बढ़ाने, लागत घटाने और पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य को एक साथ साध सकती है। हालांकि, इसके व्यापक प्रसार के लिए सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर किसानों को प्रशिक्षण, सस्ते उपकरण और वित्तीय सहायता उपलब्ध करानी होगी। स्मार्ट बागवानी को अपनाकर भारतीय किसान न केवल अपनी आय बढ़ा सकते हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर टिकाऊ खेती का मॉडल भी पेश कर सकते हैं।