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दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 25-26 जुलाई को मालदीव दौरे की खबर ने मानो सियासी समंदर में लहरें पैदा कर दी हैं। मालदीव के सियासी गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक, हर तरफ बस एक ही चर्चा—ये दौरा क्या रिश्तों की रार को रफा-दफा करेगा या फिर नई सियासत शुरू होगी? दरअसल 2023 में “इंडिया आउट” का नारा देकर सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू के लिए ये दौरा किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं। और मोदी जी? वो तो अपने कूटनीतिक तीरों से मालदीव के दिल में फिर से जगह बनाने को तैयार दिख रहे हैं। ये बात हम इसलिए भी कह रहे हैं क्योंकि मुइज़्ज़ू ने पिछले साल ही जनवरी में चीन की गोद में बैठकर भारत को आंख दिखाने की कोशिश की थी, लेकिन अब मालदीव की चरमराती अर्थव्यवस्था ने उन्हें बैकफुट पर ला दिया है।

भारत ने न सिर्फ मुद्रा अदला-बदली और कर्ज भुगतान की मियाद बढ़ाकर मालदीव को संकट से उबारा, बल्कि पुल, अस्पताल, स्कूल और पर्यटन ढांचे जैसे प्रोजेक्ट्स में भी दिल खोलकर मदद की। फिर भी, मालदीव में कुछ लोग अब भी “इंडिया आउट” का राग अलाप रहे हैं—जैसे मुइज़्ज़ू के साले शेख अब्दुल्लाह, जिन्होंने मोदी को “आतंकवादी” तक कह डाला। लेकिन मालदीव की जनता और सरकार जानती है कि भारत का साथ उनके लिए ऑक्सीजन जैसा है।

नरेंद्र मोदी इस बार मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस पर मुख्य अतिथि बनकर धूम मचाने वाले हैं। माले की सड़कों पर भारतीय झंडे लहरा रहे हैं, और मुइज़्ज़ू के साथ उनकी द्विपक्षीय वार्ता में कई संयुक्त परियोजनाओं का उद्घाटन होने वाला है। अक्टूबर 2024 में भारत-मालदीव के बीच हुए “कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक एंड मैरीटाइम सिक्योरिटी पार्टनरशिप” की प्रगति की समीक्षा भी होगी। ये दौरा न सिर्फ रिश्तों को नई गर्माहट देगा, बल्कि चीन की बढ़ती दखलंदाजी को भी करारा जवाब देगा।

आप इस बारे में क्या सोचते हैं क्या आपको लगता है कि भारत की सॉफ्ट रवैये सहयोगी स्वभाव से मालदीव में सुधार आने वाला है क्योंकि पिछला रिकॉर्ड कुछ और ही कह रहा है। आप हमें samacharmirchi@gmail.com ईमेल कर अपनी राय दे सकते हैं।

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