सिद्धू मूसे वाला किसी परिचय का मौहताज नही हैं उनकी डोक्योमेंटी बन कर तैयार है ये फिल्म लोगों को कितनी पसंद आती हैं या नही तो आने वाले वक्त मे पता चलेगाफिल्हाल सबको इंतजार इस फिल्म को लेकर विवाद खड़ हो गया हैं जी हां उनके पिता ने फिल्म को लेकर विवाद खड़ किया है डॉक्यूमेंट्री ऐसे समय पर आई है।मूसे वाला की आवाज और गाने ने सबका दिल जीत कर रखा हैं ।
नई दिल्ली।पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री के सबसे चहेते और चर्चित गायकों में शुमार सिद्धू मूसे वाला (Sidhu Moose Wala) की मौत के तीन साल बाद भी उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है। उनकी आवाज, गाने और सोच आज भी लाखों प्रशंसकों के दिलों में बसी हुई है। लेकिन आज, उनके जन्मदिन के अवसर पर एक ऐसा विवाद सामने आया है जिसने फैंस और परिवार को झकझोर कर रख दिया है।
बीबीसी वर्ल्ड सर्विस (BBC World Service) द्वारा सिद्धू मूसे वाला पर बनाई गई डॉक्यूमेंट्री बिना परिवार की अनुमति के सार्वजनिक रूप से रिलीज कर दी गई है। इस डॉक्यूमेंट्री के दो एपिसोड ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लाइव कर दिए गए हैं। यह डॉक्यूमेंट्री ऐसे समय पर जारी की गई है जब मूसे वाला के पिता बलकौर सिंह ने पहले ही पंजाब के मानसा कोर्ट में याचिका दायर कर डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर रोक लगाने की मांग की थी।
डॉक्यूमेंट्री रिलीज और विवाद की पृष्ठभूमि
11 जून 2025 को सिद्धू मूसे वाला की जन्म जयंती है। इसी मौके पर बीबीसी ने “मोसेवाला: म्यूजिक, मर्डर एंड जस्टिस” नामक डॉक्यूमेंट्री के पहले दो एपिसोड्स रिलीज कर दिए। बीबीसी का दावा है कि यह डॉक्यूमेंट्री सिंगर के जीवन, उनकी हत्या और उसके बाद न्याय की मांग को लेकर बनाई गई है। लेकिन गायक के पिता का कहना है कि उन्होंने इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर कोई सहमति नहीं दी थी।
बलकौर सिंह ने मानसा कोर्ट में याचिका दायर की थी कि यह डॉक्यूमेंट्री परिवार की अनुमति के बिना बनाई गई है और इसे रिलीज किया जाना कानूनी व नैतिक रूप से गलत है। कोर्ट ने इस मामले में 12 जून 2025 को सुनवाई निर्धारित की थी, लेकिन इससे पहले ही बीबीसी ने डॉक्यूमेंट्री को रिलीज कर दिया।
बलकौर सिंह की प्रतिक्रिया
मीडिया से बातचीत में सिद्धू के पिता बलकौर सिंह ने कहा,
“हमने बीबीसी को पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि परिवार की अनुमति के बिना किसी भी प्रकार की डॉक्यूमेंट्री या सामग्री को सार्वजनिक न करें। यह हमारे बेटे की विरासत से जुड़ा मामला है, इसका इस्तेमाल भावनात्मक या व्यावसायिक लाभ के लिए नहीं किया जाना चाहिए।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि डॉक्यूमेंट्री में दिखाई गई कई बातें तथ्यात्मक रूप से गलत हैं और यह परिवार की भावनाओं को आहत करने वाली हैं।
फैंस में नाराजगी और सोशल मीडिया पर उबाल
जैसे ही यह खबर सामने आई कि सिद्धू मूसे वाला की डॉक्यूमेंट्री बिना अनुमति के रिलीज कर दी गई है, सोशल मीडिया पर फैंस का गुस्सा फूट पड़ा। ट्विटर (अब एक्स), इंस्टाग्राम और फेसबुक पर #JusticeForSidhu और #BoycottBBC जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। फैंस का कहना है कि बीबीसी जैसे प्रतिष्ठित मीडिया हाउस को इस तरह की संवेदनशीलता के साथ काम करना चाहिए और परिवार की सहमति के बिना कुछ भी प्रकाशित या प्रसारित नहीं करना चाहिए।
बीबीसी की सफाई
बीबीसी वर्ल्ड सर्विस ने एक बयान जारी कर कहा कि,
“हमने डॉक्यूमेंट्री तैयार करने में कई स्त्रोतों से जानकारी प्राप्त की है और यह एक स्वतंत्र पत्रकारिता का हिस्सा है। हम परिवार की भावनाओं का सम्मान करते हैं लेकिन यह डॉक्यूमेंट्री सार्वजनिक हित में है।”
हालांकि, बीबीसी के इस बयान को लेकर भी सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हो रही है और लोग इसे गैर-जिम्मेदाराना रवैया बता रहे हैं।
कानूनी कार्रवाई के संकेत
बलकौर सिंह ने यह भी कहा है कि अगर कोर्ट डॉक्यूमेंट्री पर रोक नहीं लगाता है, तो वे बीबीसी के खिलाफ मानहानि और कॉपीराइट उल्लंघन का मामला दर्ज करेंगे।
सिद्धू मूसे वाला की हत्या और अब तक की जांच
29 मई 2022 को पंजाब के मानसा जिले में सिद्धू मूसे वाला की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या ने देशभर को झकझोर कर रख दिया था। गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ जैसे नाम इस हत्याकांड में सामने आए। अभी भी यह मामला कोर्ट में लंबित है और परिवार लगातार न्याय की मांग करता रहा है।
निष्कर्ष
सिद्धू मूसे वाला की विरासत को लेकर यह विवाद न केवल उनके परिवार के लिए भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण है, बल्कि यह मीडिया की नैतिकता और पत्रकारिता की सीमाओं पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है।
बीबीसी द्वारा बिना अनुमति डॉक्यूमेंट्री जारी करना एक ऐसा कदम है जिसे लेकर जनता और प्रशंसकों में काफी नाराजगी है। अब देखना यह है कि 12 जून को मानसा कोर्ट क्या निर्णय देता है और क्या सिद्धू के परिवार को न्याय मिल पाएगा।
यह मामला न केवल एक दिवंगत कलाकार की प्रतिष्ठा का विषय है, बल्कि मीडिया नैतिकता और पारिवारिक अधिकारों के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौती भी पेश करता है।
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