समाचार मिर्ची

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बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस इस बार बेहद सतर्क दिख रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे की गलती से सबक लेते हुए पार्टी ने इस बार शुरुआत से ही सम्मानजनक और ठोस फार्मूला तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की “वोटर अधिकार यात्रा” ने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं में नई ऊर्जा का संचार किया है। इसी उत्साह को चुनावी रणनीति में बदलने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने जिला और प्रदेश इकाईयों से रिपोर्ट मंगाई है और स्वतंत्र एजेंसियों से सर्वे कराकर जीत की संभावनाओं का आकलन कराया जा रहा है।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का राजद से अच्छा स्ट्राइक रेट

कांग्रेस के पिछले चुनाव में कमजोर स्ट्राइक रेट को लेकर राजद के तर्क पर किशोर झा ने कहा कि बीते लोकसभा चुनाव में राजद 27 पर लड़ी और चार जीती, जबकि नौ सीटों पर लड़कर कांग्रेस तीन पर जीत हासिल की। पप्पू यादव की सीट जोड़ लें तो यह 10 में चार हो जाता है और ऐसे में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट राजद से बेहतर रहा।

सीट बंटवारे पर कांग्रेस का अलर्ट मोड

कांग्रेस इस बार केवल औपचारिक दावेदारी पर नहीं बल्कि तथ्य और सर्वेक्षण के आधार पर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है। पार्टी ने तय किया है कि जिन सीटों पर दावेदारी पेश की जाएगी, वहां के लिए तीन से चार प्रभावशाली उम्मीदवारों का पैनल तैयार होगा। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि महागठबंधन में सहयोगी दल, विशेषकर राजद, कांग्रेस की दावेदारी को नज़रअंदाज़ न कर सकें।

90 सीटों पर दावेदारी की तैयारी

वरिष्ठ नेता किशोर कुमार झा ने कहा कि पार्टी को 70 सीटों तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि 90 सीटों पर दावेदारी करनी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी की यात्रा के बाद लगभग हर जिले में कांग्रेस की स्थिति पहले की तुलना में बेहतर हुई है। इसलिए कांग्रेस को अधिक सीटों पर लड़ने का अधिकार है।

गौरतलब हैं कि, बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने भी पत्रकारों से बातचीत में संकेत दिए कि सीटों का बंटवारा इस बार संतुलन के साथ होना चाहिए। उन्होंने साफ कहा कि जब महागठबंधन में नए साझेदार जुड़ेंगे तो सभी घटक दलों को अपने हिस्से से कुछ सीटें छोड़नी होंगी।

वही, बिहार कांग्रेस इस बार बेहद रणनीतिक और सतर्क अंदाज़ में चुनावी तैयारी कर रही है। राहुल गांधी की यात्रा से मिले समर्थन को पार्टी अपने चुनावी आधार को मजबूत करने के अवसर के रूप में देख रही है। हाईकमान ने भी यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि 2020 जैसी गलतियां न हों और सीट बंटवारे में कांग्रेस को सम्मानजनक हिस्सा मिले।

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