समाचार मिर्ची

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नई दिल्ली दिसंबर 2025 के प्रथम सप्ताह में, Indian National Congress (कांग्रेस) की प्रवक्ता Ragini Nayak ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें ऐसा दिखाया गया कि Narendra Modi — वर्तमान प्रधानमंत्री — एक अंतरराष्ट्रीय मंच (रेड-कार्पेट) पर चाय बेचते हुए “चायवाला” की भूमिका में मौजूद हैं। वीडियो में उन्होंने केतली और चाय के गिलास हाथ में पकड़े हैं, और ऐसा दृश्य पेश किया गया है alsof वे लोगों को “चाय बोले, चाय चाहिए” कह कर चाय दे रहे हों।

PM Modi AI Video Controversy: कांग्रेस द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को ‘चायवाला’ दिखाते हुए एक AI वीडियो साझा करने पर विवाद खड़ा हो गया है। बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस के एआई वीडियो पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि पीएम मोदी ओबीसी समुदाय और गरीब परिवार से आते हैं। इसके बावजूद कांग्रेस कामदार पीएम के आगे नहीं टिक सकी।

पिछला इतिहास — AI, चायवाला और परिवार विवाद

यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस या विपक्षी कोई AI वीडियो, मीम या टिप्पणी लेकर विवाद में आई हो। सितंबर 2025 में, बिहार कांग्रेस ने एक AI-जनित वीडियो जारी किया था, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी और उनकी दिवंगत मां को दिखाया गया था — वीडियो को लेकर जबरदस्त विरोध हुआ, भाजपा ने इसे ‘मां व महिलाओं का अपमान’ करार दिया था और मामला न्यायालय तक गया था। उस वीडियो को हटाने का आदेश भी आलोचना के बाद जारी हुआ था।

बता दें कि, उस घटना की तुलना में, अब जो वीडियो सामने आया है — वह सीधे चायवाले अतीत को लेकर है। चायवाला पृष्ठभूमि भाजपा के लिए सदैव एक पॉजिटिव पॉलिटिकल narrative रही है — उन्होंने इसे “आम आदमी का नेता” के रूप में पेश किया है। ऐसे में कांग्रेस का यह प्रयास, अगर मज़ाक या व्यंग्य के रूप में था, भाजपा इसे वैचारिक हमला मान रही है।

बता दें कि, कांग्रेस के AI-वीडियो और बीजेपी की तीखी प्रतिक्रिया ने इस बात को फिर सामने ला दिया कि भारत में राजनीति और डिजिटल मीडिया अब पूरी तरह एक हो चुके हैं। जहां एक तरफ कांग्रेस ने पीएम मोदी के अतीत को सवालों के दायरे में लाने की कोशिश की, वहीं बीजेपी ने इस पर हमला करते हुए इसे “गरीब-पृष्ठभूमि और मेहनतकश जनता का अपमान” बताया।

अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में भारतीय राजनीति और सोशल मीडिया का यह गठजोड़ कैसे दिशा लेगा। क्या पार्टियाँ अपनी रणनीतियों में बदलेंगी? क्या कानून और मीडिया-नीति इस बदलते परिदृश्य के अनुरूप खुद को अपडेट करेंगे? और सबसे महत्वपूर्ण — जनता इस डिजिटल राजनीति को किस तरह देखेगी, समझेगी और स्वीकार करेगी।

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