नई दिल्ली, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को एक अहम बयान देते हुए कहा कि आतंकवाद को किसी भी धर्म से जोड़ना बेहद गलत है, क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा या निर्दोषों की हत्या का समर्थन नहीं करता। उन्होंने कहा कि दुनिया के हर मजहब का संदेश शांति, प्रेम और भाईचारे का होता है और आतंकवाद की जड़ें राजनीतिक, सामाजिक या वैचारिक कारणों से जुड़ी होती हैं, न कि धार्मिक शिक्षाओं से।
वर्ष 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत द्वारा सभी सात आरोपियों को बरी किए जाने के बाद सिंह ने यह टिप्पणी की।
गौरतलव है कि, 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में हुए बम धमाकों ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। इन धमाकों में कई निर्दोष लोगों की जान गई थी और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे। प्रारंभिक जांच में कई लोगों पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा। मामला एनआईए की विशेष अदालत में गया, जहां वर्षों तक गवाही और सबूतों पर सुनवाई चली।
दिग्विजय सिंह का दृष्टिकोण
दिग्विजय सिंह ने कहा कि किसी भी समुदाय को आतंकवाद के साथ जोड़ना संवैधानिक मूल्यों और राष्ट्रीय एकता के खिलाफ है। उन्होंने जोर देकर कहा कि “भारत की ताकत उसकी विविधता और धर्मनिरपेक्षता में है। यदि हम आतंकवाद को किसी एक धर्म से जोड़ देंगे, तो यह न केवल सामाजिक सौहार्द को कमजोर करेगा, बल्कि उन निर्दोष लोगों के साथ अन्याय होगा जो उस धर्म से जुड़े हैं।”
दिग्विजय सिंह का यह बयान हमें यह याद दिलाता है कि आतंकवाद से निपटने के लिए केवल सरकार ही नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग की भागीदारी जरूरी है। किसी भी धर्म को आतंकवाद से जोड़ना न केवल उस धर्म के अनुयायियों के लिए अन्याय है, बल्कि यह आतंकवादियों के एजेंडे को भी मजबूत करता है।
