नई दिल्ली। केरल के कन्नूर जिले से ताल्लुक रखने वाले और माकपा की हिंसा के शिकार बने सदानंदन मास्टर के राज्यसभा के लिए मनोनयन के बाद एक बार फिर राज्य की सियासत में हलचल मच गई है। सदानंदन मास्टर की कहानी न केवल केरल में वामपंथी हिंसा के इतिहास की गवाही देती है बल्कि यह भी बताती है कि राजनीतिक वैचारिक मतभेद किस तरह अमानवीय हिंसा में बदल जाते हैं।
जानकारी दे दें कि, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में अमित शाह ने ही 2017 में वामपंथी हिंसा के खिलाफ अक्टूबर में कन्नूर से तिरुवनंतपुरम तक 21 दिनों की पदयात्रा निकाली थी। उस साल जुलाई में कन्नूर में भाजपा व आरएसएस के एक दर्जन से अधिक कार्यकर्ताओं के घरों पर एक साथ हमला कर मारपीट, आगजनी और तोड़फोड़ की गई थी। उसी रात वहां के आरएसएस के कार्यालय में आग लगा दी गई थी।
बता दें कि, सदानंदन मास्टर की कहानी केवल एक व्यक्ति के संघर्ष की नहीं, बल्कि उस विचारधारा की जीत है जो कहती है कि हिंसा से विचारों को कुचला नहीं जा सकता। वामपंथी हिंसा के शिकार हजारों कार्यकर्ताओं के परिवारों के लिए यह एक उम्मीद की किरण है। राज्यसभा में उनकी उपस्थिति उन सभी को याद दिलाएगी कि लोकतंत्र में असहमति का स्थान है, लेकिन हिंसा का नहीं।