समाचार मिर्ची

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दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, जो कभी सत्ता के शिखर पर थीं, अब एक ऑडियो लीक की वजह से विवाद में फंस गई हैं। बीबीसी की रिपोर्ट ने उन्हें बेहद मुश्किल में डाल दिया है। इस रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि हसीना ने पिछले साल ढाका में हुए छात्र प्रदर्शनों को कुचलने के लिए पुलिस और सेना को “जहां दिखे, गोली मारो” का खुला आदेश दिया था।

ये खुलासा 18 जुलाई 2024 को उनके गणभवन निवास से की गई एक फोन कॉल के लीक ऑडियो से हुआ, जिसे बीबीसी ने अपनी जांच में पक्का बताया है। लेकिन भैया इस खबर से भारत की राजनीति में भी भूचाल आ गया है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2025 में लीक हुआ ये ऑडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया है। इसमें हसीना किसी सीनियर ऑफिसर से कह रही हैं, “सभी को गिरफ्तार करो। मैंने खुला आदेश दिया है। अब घातक हथियारों का इस्तेमाल होगा। जहां दिखें, गोली मारो।”

ये कॉल उस वक्त की है, जब ढाका में छात्र सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम के खिलाफ सड़कों पर थे। बीबीसी ने बांग्लादेश पुलिस के दस्तावेजों का हवाला देते हुए बताया कि इस कॉल के अगले ही दिन ढाका में मिलिट्री-ग्रेड राइफलों का इस्तेमाल हुआ। 1 जुलाई से 15 अगस्त 2024 तक चले इन प्रदर्शनों में संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 1,400 लोग मारे गए, जिनमें 13% बच्चे थे।

5 अगस्त, जब जत्राबाड़ी में पुलिस ने कम से कम 52 लोगों को मार डाला, जबकि शुरुआती खबरों में सिर्फ 30 मौतें बताई गई थीं। शेख हसीना, जो अब तक भारत में शरणार्थी के रूप में रह रही हैं। उनकी अवामी लीग पार्टी इन इल्ज़ामों को सिरे से खारिज कर रही है। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि ऑडियो को लेकर छेडछाड़ की बात कही। लेकिन बांग्लादेश का आपराधिक जांच विभाग और ऑडियो फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ने इसकी पुष्टि कर दी कि ऑडियो में हसीना की ही आवाज़ है, और इसमें कोई छेड़छाड़ नहीं हुई।

सबूत सही है तो मानवता के खिलाफ था फैसला

अब ये ऑडियो ढाका में इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) में हसीना के खिलाफ ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ के केस में अहम सबूत बनने जा रहा है। 203 लोग इस मामले में आरोपी हैं, जिनमें 73 हिरासत में हैं, लेकिन हसीना भारत में होने की वजह से ट्रायल में अनुपस्थित हैं।

सत्ता की चाहत में खुनी खेल, लोगों ने अपनों को खोया

ये सिर्फ सियासत की बात नहीं, बल्कि उन 1,400 परिवारों का दर्द है, जिन्होंने अपने बच्चों, भाइयों, और बहनों को खोया। छात्र अपनी हक की लड़ाई लड़ रहे थे, लेकिन हसीना की सरकार ने उन्हें “आतंकवादी” करार देकर गोली से जवाब दिया। हमारी संवेदनाएं उन मासूमों के साथ हैं, जिन्हें सत्ता की चाह ने कुचल दिया। लेकिन लानत है उस सिस्टम पर, जो सत्ता बचाने के लिए इतना खून बहाता है। हसीना को भारत ने शरण दी है, लेकिन बांग्लादेश की जनता का गुस्सा अब भारत से भी प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है।

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