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वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति और रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों बेहद गुस्से में नजर आ रहे हैं, उनके फैसलों और बयानों में ये बात साफ नजर आ रही है। उन्होंने BRICS नीति का समर्थन करने वाले और अमेरिकी व्यापार नीतियों से भटकने वाले देशों को सीधे सीधे चुनौती दे दी है कि अगर उनकी बात नहीं मानी तो नुकसान उठाने के लिए तैयार रहें। उन्होंने साफ शब्दों में 9 जुलाई तक की मोहलत तक दे डाली है कि अगर इन देशों ने अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौते नहीं किए, तो 1 अगस्त से उनके ऊपर 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। हालाकिं इस पूरे प्रकरण पर ट्रंप प्रशासन ने सफाई देते हुए इस फैसले को अमेरिका की पूर्व निर्धारित नीति का हिस्सा बताया है।

अब तक किसके साथ व्यापारिक समझौते?

अमेरिका ने अब तक अपनी व्यापारिक नीति के तहत ब्रिटेन और वियतनाम के साथ व्यापार समझौते किए हैं। वहीं अगर चीन की बात करें तो उसके साथ अस्थायी रूप से टैरिफ में कमी करने का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि फ्रांस और यूरोपीय संघ के साथ बातचीत जारी है, वहीं ये उम्मीद जताई जा रही है कि समझौता जल्द होगा। ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेन्ट ने कहा कि यह फैसला पहले से तय था और अब इसे लागू किया जाएगा। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल में टैरिफ की घोषणा की थी, लेकिन बातचीत के लिए उसे कुछ समय के लिए टाल दिया गया था।

वही, BRICS देशों का लगातार मजबूत होने से अमेरिका अपनी भूमिका को लेकर बेहद चिंतित है। क्योंकि अब तक के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ था कि उसे चुनौती मिले लेकिन ऐसी परिस्थितियों ने अमेरिका को उकसा दिया है। रूस और चीन BRICS के माध्यम से डॉलर के मुकाबले नई मुद्रा लाने की कोशिश में जुटे हैं। तो वहीं भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका ने भी आपसी व्यापार में अमेरिकी डॉलर से इतर विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है। यही वजह है कि अमेरिका ने सख्त लहजा अपनाया है।

डोनाल्ड ट्रंप का यह कदम उनके “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे को और मजबूत करता है या फैसला किसी और दिशा में लेकर जाएगा अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। हालाकि BRICS समर्थक देशों के लिए यह अल्टीमेटम निश्चित रूप से एक बड़ी चुनौती है। आने वाले हफ्ते यह तय करेंगे कि वैश्विक व्यापार किस दिशा में आगे बढ़ेगा — सहयोग करेंगे या ये टकराव की तरफ आगे बढ़ेगा।

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