अमेरिका में वाकई में कोई बड़ा राजनीतिक बदलाव होने जा रहा है। इसलिए कर रहे हैं क्योंकि मौजूदा जो उथल पुथल चल रही है उससे स्पष्ट होता है कि भविष्य की राजनीति में अमेरिका में टू पार्टी सिस्टम खत्म होने वाला है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क के बीच की तकरार ने अमेरिका और पूरी दुनिया में नई राजनीतिक बहस को शुरू कर दिया है
अमेरिका में इस साल 4 जुलाई को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश की राजनीति में एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ। सवाल यह कि क्या अमेरिका में दशकों पुराना ‘टू पार्टी सिस्टम’ टूट जाएगा? क्योंकि अभी तक यहां टू पार्टी सिस्टम से ही सरकारें बनती रहीं है। ये बहस क्यों शूरू हुई तो हम बताते हैं दरअसल सवाल के पीछे हैं दुनिया के सबसे चर्चित और विवादास्पद टेक अरबपति, टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क हैं, जिन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने एक पोस्ट के जरिए राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी।
https://x.com/elonmusk/status/1941119099532378580?t=9iEZ_6-RojpJybJ1hm7fyg&s=08
दरअसल एलन मस्क सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर राजनीतिक पार्टी बनाने को लेकर एक सर्वे पोस्ट किया। उन्होंने एक्स पर लिखा कि क्या हमें अमेरिका पार्टी बनाना चाहिए? बस इसी पोस्ट के बाद से अमेरिका समेत पूरी दुनिया में एक नई राजनीतिक बहस ने जन्म ले लिया।
आपको बता दें कि, ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में एक नया कानून पेश किया जिसे उन्होंने खुद ‘ब्यूटीफुल बिल’ नाम दिया। माना जा रहा है कि इस बिल का मकसद अमेरिकी अर्थव्यवस्था और रोजगार के लिहाज से ‘राष्ट्रवादी नीतियों’ को और मजबूत करना है। लेकिन इसके विरोधियों का कहना है कि यह लोकतांत्रिक स्वतंत्रताओं और बाजार की प्रतिस्पर्धा को चोट पहुंचा सकता है।
यह बताते चले कि, एलन मस्क के इस सर्वे ने अमेरिकी राजनीति में हलचल तो जरूर मचाई है। अब देखना यह होगा कि यह विचार सिर्फ एक सोशल मीडिया पोस्ट तक ही सीमित रहता है या सच में अमेरिका में तीसरी पार्टी के रूप में नई राजनीतिक क्रांति की शुरुआत होती है। अगर यह सच में सही बात साबित हुई तो अमेरिका में नई राजनीति की शुरूआत होगी। ये कहना भी गलत नहीं होगा कि एलन मस्क भारी भी पड़ सकते हैं क्योंकि उनके पास अथाह सपंत्ति है और राजनीति को एक दूसरे नजरिए से देखें तो पैसा फेस तमासा देख जैसी स्तिथि अमूमन सभी जगह होती है। ये बात कोई कहता नहीं है लेकिन अंत में बात वहीं आकर रूक जाती है सारे परिणाम उसी आधार पर तय हो जाते हैं।