नेपाल में बीते 30 घंटों के भीतर सियासत का सबसे बड़ा भूचाल आया। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल समेत कई मंत्रियों को युवाओं के आक्रोश और हिंसक प्रदर्शनों के आगे झुकना पड़ा। सोशल मीडिया बैन के ख़िलाफ़ शुरू हुआ यह आंदोलन अब एक जनविद्रोह में बदल गया है।
कर्फ्यू और सुरक्षा के सख्त इंतजामों के बावजूद विरोध प्रदर्शनों का दायरा बढ़ता जा रहा है और राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है.
देश में वैकल्पिक सरकार और नए नेतृत्व की मांग उठ रही है. भारत ने अपने नागरिकों के लिए परामर्श जारी किया है. काठमांडू के हवाई अड्डे को बंद कर दिया गया है और पूरा शहर छावनी में तब्दील हो गया है.
सोशल मीडिया बैन से भड़की आग
नेपाल सरकार ने कुछ दिन पहले प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर प्रतिबंध लगाया था। सरकार का दावा था कि इन प्लेटफॉर्मों का इस्तेमाल अफवाहें और गलत सूचनाएं फैलाने के लिए हो रहा है। लेकिन इस फैसले ने युवाओं, खासकर Gen-Z पीढ़ी को बेहद नाराज कर दिया।
काठमांडू की सड़कों पर हिंसा और तोड़फोड़
सोमवार को राजधानी काठमांडू और आसपास के इलाकों में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं।
- प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाए, सरकारी इमारतों और नेताओं के घरों में आग लगाई।
- राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के निजी आवास पर भी भीड़ ने कब्जा कर तोड़फोड़ और आगजनी की।
- गृहमंत्री रमेश लेखक और अन्य मंत्रियों के घरों को भी निशाना बनाया गया।
- हिंसा में अब तक 20 लोगों की मौत और 100 से अधिक घायल होने की खबर है।
बता दे दें कि, नेपाल में सोशल मीडिया बैन से भड़की आग अब एक राजनीतिक क्रांति का रूप ले चुकी है। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक का इस्तीफा यह साबित करता है कि जनता की ताकत सबसे बड़ी है। हालांकि हिंसा, मौत और अस्थिरता ने देश को गहरे संकट में धकेल दिया है। अब सबसे बड़ी चुनौती होगी – शांति बहाल करना, नए नेतृत्व का चुनाव करना और जनता का भरोसा जीतना।