ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर राजनीतिक शालीनता और मर्यादा पर जोर दिया है। हाल ही में बिहार के दरभंगा जिले में महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) के एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी की गई। इस घटना ने न केवल सियासी हलचल मचाई बल्कि राजनीतिक विमर्श की दिशा और स्वरूप को लेकर भी बहस छेड़ दी।
दरअसल, बिहार के दरभंगा जिले के सिमरी थाना क्षेत्र में महागठबंधन के एक कार्यक्रम के दौरान मंच से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी allegedly की गई थी। यह वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया।
भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती यही है कि यहां हर किसी को अपने विचार रखने का अधिकार है। विपक्ष सरकार की आलोचना करता है और सत्ता पक्ष उसका जवाब देता है। लेकिन जब आलोचना अभद्रता की सीमा लांघने लगे, तो इससे लोकतंत्र की गरिमा कम होती है।
ओवैसी ने विपक्ष को नसीहत देते हुए शालीन शब्दों का इस्तेमाल करने की सलाह दी। ओवैसी ने कहा कि अगर कोई ऐसा कर भी रहा है, तो हमें उसकी नकल नहीं करनी चाहिए।
दरअसल दरभंगा में महागठबंधन के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी की गई थी। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘शालीन शब्दों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। आप बोलें, विरोध करें, आलोचना करें, जितना चाहें निंदा करें लेकिन अगर आप शालीनता की सीमा पार करते हैं, तो यह गलत है और ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। चाहे वह किसी के बारे में भी हो।’
जनता की नजर में सियासी भाषा
जनता अब नेताओं के भाषणों को सिर्फ स्थानीय सभाओं तक सीमित नहीं देखती, बल्कि सोशल मीडिया के जरिए वे राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर पहुंच जाते हैं। वायरल वीडियो ने यह दिखा दिया कि एक अपमानजनक टिप्पणी किस तरह व्यापक असर डाल सकती है।
असदुद्दीन ओवैसी का बयान सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के पक्ष में नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और राजनीतिक मर्यादा के पक्ष में है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि राजनीति में आलोचना और विरोध आवश्यक है, लेकिन अपमानजनक और अश्लील भाषा का इस्तेमाल किसी भी सूरत में उचित नहीं।
