अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत को चौंकाते हुए ब्रांडेड या पेटेंटेड दवाओं पर 100% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। यह निर्णय 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगा।ट्रम्प ने स्पष्ट किया कि यह टैरिफ केवल उन्हीं कंपनियों पर लागू होगा जो अमेरिका के बाहर दवाओं का उत्पादन कर रही हैं। लेकिन यदि कोई कंपनी अमेरिका में दवा उत्पादन के लिए नया प्लांट स्थापित कर रही है या उसका निर्माण कार्य शुरू कर चुकी है, तो उस पर यह नियम लागू नहीं होगा।
त जेनेरिक दवाइयां अमेरिका को एक्सपोर्ट करने वाला सबसे बड़ा देश है। 2024 में भारत ने अमेरिका को लगभग 8.73 अरब डॉलर (करीब 77 हजार करोड़ रुपए) की दवाइयां भेजीं, जो भारत के कुल दवा एक्सपोर्ट का करीब 31% था।
बता दें कि, अमेरिका में डॉक्टर जो प्रिस्क्रिप्शन लिखते हैं, उनमें से हर 10 में से लगभग 4 दवाइयां भारतीय कंपनियों की बनाई होती हैं एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में अमेरिका के हेल्थकेयर सिस्टम के 219 अरब डॉलर बचे थे। 2013 से 2022 के बीच यह बचत 1.3 ट्रिलियन थी।
भारत पर पहले से टैरिफ का बोझ
ट्रम्प प्रशासन ने 27 अगस्त 2025 से ही भारत के कुछ उत्पादों पर 50% टैरिफ लगा दिया था। इसमें कपड़े, जेम्स-ज्वेलरी, फर्नीचर और सी-फूड जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं। उस समय दवाओं को इस दायरे से बाहर रखा गया था। लेकिन अब राष्ट्रपति ट्रम्प के ताजा फैसले ने भारत की फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री की चिंता बढ़ा दी है।
बता दें कि, डोनाल्ड ट्रम्प का ब्रांडेड दवाओं पर 100% टैरिफ लगाने का फैसला भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में एक नया अध्याय जोड़ता है। हालांकि फिलहाल यह कदम सीधे तौर पर भारतीय जेनेरिक दवाओं को प्रभावित नहीं करता, लेकिन आशंका यही है कि यदि भविष्य में ट्रम्प प्रशासन ने जेनेरिक दवाओं को भी इस दायरे में शामिल किया, तो भारत की फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री और अमेरिकी मरीज दोनों को इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है।
