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बरेली। खाद बीज की समस्या से देश के कई राज्यों के किसान परेशान हो रहे हैं। खासकर खाद को लेकर किसान कभी प्राइवेट कंपनियों के जाल फंसकर ठगी का शिकार होता है तो कभी सरकारी खाद के लिए लंबी लाइन लगाकर परेशान होता है। ताजा मामला उत्तरप्रदेश से सामने आया है। जहां व्यापारी परेशान हो रहे हैं कि उन्हें सरकारी नियमो के तहत अगर खाद बेची को घाटा हो रहा है।

उत्तर प्रदेश में खेती के लिए जरूरी खाद, बीज और कीटनाशकों की बिक्री करने वाले व्यापारियों ने कृषि विभाग की कार्रवाई और नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बरेली में शनिवार को दर्जनों व्यापारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित ज्ञापन भेजकर कृषि विभाग की छापेमारी और नियमों में अनावश्यक दखल का विरोध किया। व्यापारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को तुरंत नहीं माना गया तो वे प्रदेशभर में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।

बता दें कि, ज्ञापन में व्यापारियों ने यूरिया की थोक और खुदरा कीमतों के अंतर और डीलरों को मिलने वाले अत्यल्प मार्जिन का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने बताया कि कंपनियां यूरिया ₹242 से ₹246 प्रति बोरी के थोक भाव पर बेच रही हैं, जबकि सरकार ने इसकी खुदरा कीमत ₹266.50 तय की है। ऐसे में व्यापारियों को प्रति बोरी केवल ₹4–₹5 का ही मार्जिन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि ढुलाई और भंडारण खर्च जोड़ने पर यह मुनाफा शून्य हो जाता है और कई बार घाटा भी उठाना पड़ता है।

ऐसी स्थिति अगर व्यापारी किसान को ज्यादा मुनाफे पर खाद बेचेगा तो प्रशासन सख्त कार्रवाई कर एक्शन ले सकता है। मगर क्या वाकई ऐसी स्थिति है कि व्यापारियों को लाभ की जगह नुकसान हो रहा है अगर ऐसा है तो प्रशासनिक जांच का विषय है। और अगर व्यापारी लालच के चक्कर में ऐसा कर रहे हैं तो मामला किसानों के हित में नहीं है औऱ बेहद गंभीर है।

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