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नरसिंहपुर। आज गुरुवार का दिन नरसिंहपुर के लिए एक नया अध्याय लेकर आया है। जिला कलेक्ट्रेट में श्रीमती रजनी सिंह ने कलेक्टर और जिला दंडाधिकारी के रूप में कार्यभार संभाल लिया है। 2013 बैच की आईएएस अधिकारी रजनी सिंह इससे पहले इंदौर में विकास आयुक्त और श्रम आयुक्त के पद पर थीं। लेकिन सवाल ये है कि क्या नरसिंहपुर के लिए उनका आगमन कोई नई हवा लाएगा, या फिर फाइलों और पुष्प गुच्छों के बीच सब कुछ पुराने ढर्रे पर ही चलेगा? जब रजनी सिंह कलेक्ट्रेट पहुँचीं, तो वहाँ माहौल गर्मजोशी से भरा था। पूर्व कलेक्टर शीतला पटले सहित तमाम विभागीय अधिकारी मौजूद थे। पुष्प गुच्छों का आदान-प्रदान हुआ, स्वागत हुआ, तालियाँ बजीं। लेकिन ये तालियाँ क्या सिर्फ़ औपचारिकता थीं, या इनमें जिले की जनता की उम्मीदों की गूँज भी थी? नरसिंहपुर का हर नागरिक जानना चाहता है कि नई कलेक्टर उनके लिए क्या नया लेकर आई हैं। श्रीमती सिंह के सामने चुनौतियाँ कम नहीं हैं। नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश का वो जिला, जो अपनी खेती, नर्मदा के किनारे बसे गाँवों और छोटे-छोटे सपनों के लिए जाना जाता है, लंबे समय से बुनियादी सुविधाओं, सड़कों, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। क्या रजनी सिंह इन मुद्दों पर कोई ठोस कदम उठाएँगी? क्या उनकी मेज पर रखी फाइलें सिर्फ़ कागज़ का बोझ बनकर रहेंगी, या उनमें जिले की तस्वीर बदलने की कोई कहानी लिखी जाएगी?

अधिकारियों ने पुष्प गुच्छ भेंट किए, लेकिन जनता का सवाल है कि क्या उन्हें जवाबों का गुच्छा भी मिलेगा? इंदौर जैसे बड़े शहर में काम कर चुकीं रजनी सिंह के अनुभव का नरसिंहपुर को कितना फायदा होगा, ये देखना बाकी है। क्योंकि साहब, सत्ता के गलियारों में स्वागत तो फूलों से होता है, लेकिन जनता का भरोसा जीतने के लिए पसीना बहाना पड़ता है। तो क्या रजनी सिंह नरसिंहपुर की उस जनता की आवाज़ बन पाएँगी, जो हर बार नए चेहरों से उम्मीद लगाती है? या फिर ये बस एक और प्रशासनिक तबादला बनकर रह जाएगा? जवाब के लिए हमें इंतज़ार करना होगा। नरसिंहपुर की धरती, नर्मदा का किनारा और यहाँ की जनता, सबकी नज़र अब नई कलेक्टर पर टिकी है।

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