समाचार मिर्ची

समाचार मिर्ची: सबसे तेज़ खबरें, हर पल ताज़ा विश्वसनीय समाचार, हर नजरिए से सही देश-दुनिया की सबसे ताज़ा खबरें खबरें जो आपको बनाए रखें अपडेट राजनीति से लेकर खेल तक, सबकुछ आपको मिलेगा तेज और विश्वसनीय खबरें, बस एक क्लिक दूर हर पल की ताज़ी खबर, बिना किसी झोल के खबरें जो आपको चौंका दें, हर बार जानिए हर अपडेट, सबसे पहले और सबसे सही जहाँ सच्चाई और ताजगी मिलती है

समाचार मिर्ची: सबसे तेज़ खबरें, हर पल ताज़ा विश्वसनीय समाचार, हर नजरिए से सही देश-दुनिया की सबसे ताज़ा खबरें खबरें जो आपको बनाए रखें अपडेट तेज और विश्वसनीय खबरें, बस एक क्लिक दूर हर पल की ताज़ी खबर, बिना किसी झोल के खबरें जो आपको चौंका दें, हर बार जानिए हर अपडेट, सबसे पहले और सबसे सही जहाँ सच्चाई और ताजगी मिलती है

अमेरिका में सरकारी कामकाज ठप पड़े हुए आज 36 दिन हो चुके हैं। यह देश के इतिहास का सबसे लंबा सरकारी शटडाउन बन गया है। इससे पहले वर्ष 2018 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान 35 दिनों तक शटडाउन चला था।
लेकिन इस बार का संकट उससे भी गहरा है — सरकार के बंद रहने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को अब तक लगभग ₹1 लाख करोड़ (11 अरब डॉलर) का नुकसान हो चुका है, और करीब 14 लाख सरकारी कर्मचारी या तो बिना वेतन काम कर रहे हैं या कर्ज लेकर अपना घर चला रहे हैं।

शटडाउन की वजह: हेल्थकेयर सब्सिडी पर ट्रम्प की जिद

इस शटडाउन की जड़ में ट्रम्प प्रशासन और अमेरिकी संसद (कांग्रेस) के बीच फंडिंग बिल को लेकर जारी गतिरोध है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प हेल्थकेयर प्रोग्राम (Affordable Care Act) की सब्सिडी बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। इसी वजह से संसद के ऊपरी सदन सीनेट में फंडिंग बिल पास नहीं हो पा रहा।

अब तक इस बिल पर 13 बार वोटिंग हो चुकी है, लेकिन हर बार यह बहुमत के लिए जरूरी 60 वोट से 5 वोट कम रह गया। परिणामस्वरूप, अमेरिकी सरकार के कई विभागों की फंडिंग रुक गई और सरकारी कामकाज ठप हो गया।

अब तक ₹1 लाख करोड़ का नुकसान, GDP में गिरावट का खतरा

कांग्रेसनल बजट ऑफिस (CBO) की रिपोर्ट के अनुसार, 1 अक्टूबर से शुरू हुए इस शटडाउन ने अब तक 11 अरब डॉलर (करीब ₹1 लाख करोड़) का सीधा आर्थिक नुकसान किया है।
अगर यह स्थिति जल्द नहीं सुधरी तो अमेरिका की GDP में 1% से 2% की गिरावट आने की संभावना है।

CBO के डायरेक्टर फिलिप स्वैगल (Philip Swagel) ने चेतावनी दी है कि “सरकारी खर्च में लगातार देरी से आर्थिक गतिविधियां बाधित हो रही हैं। यह असर आंशिक रूप से कम हो सकता है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं होगा।”

14 लाख सरकारी कर्मचारी प्रभावित, लाखों को नहीं मिला वेतन

वॉशिंगटन स्थित बाइपार्टिसन पॉलिसी सेंटर (Bipartisan Policy Center) की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 6.7 लाख कर्मचारी जबरन छुट्टी (फर्लो) पर भेजे जा चुके हैं और 7.3 लाख कर्मचारी बिना वेतन के काम कर रहे हैं।

इसका मतलब है कि करीब 14 लाख अमेरिकी परिवारों की आमदनी पूरी तरह रुक गई है, और उनमें से अधिकांश कर्ज लेकर घर चलाने को मजबूर हैं।

CBO के अनुसार, फर्लो कर्मचारियों की सैलरी का नुकसान प्रति दिन 400 मिलियन डॉलर (करीब ₹3,300 करोड़) हो रहा है।

आर्थिक मंदी की आहट

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर शटडाउन और कुछ हफ्ते और चला, तो इसका असर सिर्फ सरकारी कर्मचारियों पर नहीं बल्कि निजी क्षेत्र और उपभोक्ता बाजार पर भी दिखेगा।

अमेरिका की कई बड़ी कंपनियां — विशेषकर एविएशन, इंफ्रास्ट्रक्चर, टूरिज्म और सर्विस सेक्टर — सरकारी ठप होने से नुकसान झेल रही हैं।
खुदरा बाजार
(Retail Market) में भी उपभोग घटा है क्योंकि लाखों परिवारों की आय रुक गई है, जिससे मांग पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यदि शटडाउन और दो सप्ताह चला तो यह 2025 की चौथी तिमाही में अमेरिका की GDP को 1.5% तक घटा सकता है।

राजनीतिक गतिरोध: सीनेट में समाधान की राह बंद

अमेरिकी राजनीति में यह शटडाउन रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टियों के बीच टकराव का प्रतीक बन चुका है।
डेमोक्रेट्स चाहते हैं कि सरकार हेल्थकेयर सब्सिडी में बढ़ोतरी करे ताकि निम्न और मध्यम वर्ग को राहत मिले,
जबकि ट्रम्प का कहना है कि “इससे सरकारी खर्च अनावश्यक रूप से बढ़ेगा।”

सीनेट में लगातार प्रयासों के बावजूद, अब तक 13 बार बिल पेश किया गया लेकिन हर बार बहुमत से 5 वोट कम पड़ गए।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, जब तक दोनों पार्टियां बीच का रास्ता नहीं निकालतीं, सरकारी ताला खुलने की कोई संभावना नहीं है।

शटडाउन के सामाजिक प्रभाव

यह संकट सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी गहरी चोट पहुंचा रहा है।

  • लाखों कर्मचारी मानसिक तनाव में हैं।
  • कई परिवारों को अपने बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य सेवाओं में कठिनाई आ रही है।
  • अमेरिका के कई शहरों में फूड बैंक और राहत संगठनों पर दबाव बढ़ गया है।

बाइपार्टिसन पॉलिसी सेंटर के अनुसार, हर दस में से चार सरकारी कर्मचारी अब अतिरिक्त काम या कर्ज के सहारे अपनी जरूरतें पूरी कर रहे हैं।

बता दें कि, अमेरिका के इस ऐतिहासिक शटडाउन ने यह साफ कर दिया है कि राजनीतिक जिद आर्थिक स्थिरता से बड़ी हो गई है।
जहां एक तरफ ट्रम्प अपने राजनीतिक एजेंडे पर अड़े हैं, वहीं लाखों परिवार वेतन न मिलने से संघर्ष कर रहे हैं।
देश की अर्थव्यवस्था हर बीतते दिन के साथ भारी नुकसान झेल रही है।

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version