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पटना। बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली। ऐसे में उनके चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। इसी बीच, पूर्व डीजीपी ने बुधवार को बताया कि उन्होंने किसी पार्टी का दामन नहीं थामा है, लेकिन जब वह ऐसा करेंगे तो इसकी जानकारी देंगे। 

पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने संवाददाता सम्मेलन करते हुए कहा, मैंने नौकरी से सेवानिवृत्ति ले ली है। मैंने हमेशा निष्पक्षता से काम किया है। उन्होंने कहा, फिलहाल मैंने भविष्य को लेकर कुछ तय नहीं किया है। हालांकि, लोगों से बातकर आगे के बारे में तय करूंगा। 
उन्होंने कहा, मैंने किसी पार्टी का दामन नहीं थामा है, लेकिन किसी पार्टी में शामिल होऊंगा तो इस बारे में सभी को जानकारी दूंगा। फिलहाल मैंने तय नहीं किया है कि किस पार्टी में जाना है। जहां तक सामाजिक कार्यों की बात है तो वह मैं राजनीति में जाए बगैर ही कर सकता हूं। 

माना जा रहा है कि बिहार के पूर्व डीजीपी जेडीयू में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, फिलहाल उन्होंने किसी भी पार्टी में शामिल होने की बात नहीं की है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट है कि वह बक्सर विधानसभा सीट से जेडीयू के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ सकते हैं। 

सुशांत केस पर कही ये बात
गुप्तेश्वर पांडेय ने सुशांत केस को लेकर कहा कि मेरे वीआरएस को सुशांत सिंह मामले से जोड़कर ना देखा जाए। मैंने पटना में सुशांत के लाचार पिता की काफी मदद की। मैंने इस मामले में संवैधानिक तरीके से काम किया। 

उन्होंने कहा, सुशांत मामले के लिए एक टीम को मुंबई भेजा गया। मुंबई में मेरे अधिकारियों के साथ बदसलूकी की गई। वहां पर हमारे अधिकारियों की बेइज्जती हुई, जिससे मैं आहत हूं। मुझे इसे देखकर बहुत बुरा लगा। 

पूर्व डीजीपी ने कहा, बिहार में मुझे बच्चा-बच्चा जानता है। मैंने अपने करियर में कभी अपराध से समझौता नहीं किया। मैंने जीवनभर संघर्ष किया है, जिस कारण मैं इस मुकाम पर हूं। उन्होंने कहा कि बेगुसराय में हमने अपराध का सफाया किया। मेरे कार्यकाल में एक भी जनसंहार नहीं हुआ। मैंने हमेशा बिहार की अस्मिता के लिए लड़ाई लड़ी। 

2009 लोकसभा चुनाव से पहले दिया था इस्तीफा
बता दें कि, यह पहली बार नहीं जब सियासी पारी के लिए पांडेय ने आईपीएस की नौकरी छोड़ी है। इससे पूर्व 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्हाेंने इस्तीफा दिया था। तब वह भाजपा के टिकट पर बक्सर सीट से लड़ना चाहते थे। हालांकि टिकट न मिलने पर उन्होंने इस्तीफा वापस लेने की अर्जी दी जिसे तत्कालीन नीतीश कुमार सरकार ने मंजूर कर लिया। नौ महीने बाद वह फिर सेवा में बहाल हुए।

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