समाचार मिर्ची

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दिल्ली। केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग का विरोध किया है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि ऐसा करना भारत की सामाजिक मान्यताओं और पारिवारिक व्यवस्था के खिलाफ होगा. इसमें कई तरह की कानूनी अड़चनें भी आएंगी. इस साल 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक शादी के मसले पर केंद्र को नोटिस जारी किया था. साथ ही अलग-अलग हाई कोर्ट में लंबित याचिकाओं को अपने पास ट्रांसफर करा लिया था.

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (13 मार्च) को होने वाली सुनवाई से पहले केंद्र ने सभी 15 याचिकाओं पर जवाब दाखिल किया है. केंद्रीय कानून मंत्रालय ने कहा है कि भारत में परिवार की अवधारणा पति-पत्नी और उन दोनों की संतानें हैं. समलैंगिक विवाह इस सामाजिक धारणा के खिलाफ है. संसद से पारित विवाह कानून और अलग-अलग धर्मों की परंपराएं इस तरह की शादी को स्वीकार नहीं करतीं.

‘सभी कानून पुरुष-महिला पर ही बनें’

केंद्र ने कहा, “ऐसी शादी को मान्यता मिलने से दहेज, घरेलू हिंसा कानून, तलाक, गुजारा भत्ता, दहेज हत्या जैसे तमाम कानूनी प्रावधानों को अमल में ला पाना कठिन हो जाएगा. यह सभी कानून एक पुरुष को पति और महिला को पत्नी मान कर ही बनाए गए हैं.” सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कुछ याचिकाओं में समलैंगिक विवाह को भी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत लाकर उनका रजिस्ट्रेशन किए जाने की मांग की गई है.

2018 में SC ने सुनाया था बड़ा फैसला

याचिकाकर्ताओं ने कहना है कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने समलैंगिकता को अपराध मानने वाली IPC की धारा 377 के एक हिस्से को रद्द कर दिया था. इसके चलते दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बने समलैंगिक संबंध को अब अपराध नहीं माना जाता. ऐसे में साथ रहने की इच्छा रखने वाले समलैंगिक जोड़ों को कानूनन शादी की भी अनुमति मिलनी चाहिए.

‘संबंध और शादी अलग-अलग बातें’

इसका जवाब देते हुए केंद्र ने कहा है कि समलैंगिक वयस्कों के बीच सहमति से बने शारीरिक संबंध को अपराध न मानना और उनकी शादी को कानूनी दर्जा देना दो अलग-अलग चीजें हैं. याचिकाकर्ता इस तरह की शादी को अपने मौलिक अधिकार की तरह बता रहे हैं, यह गलत है. सोमवार के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारडीवाला की बेंच उनकी याचिकाओं को सुनेगी. यह बेंच आगे होने वाली विस्तृत सुनवाई की रूपरेखा तय कर सकती है.

इन लोगों ने दाखिल की हैं याचिकाएं

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वालों में गे कपल सुप्रियो चक्रबर्ती और अभय डांग, पार्थ फिरोज मेहरोत्रा और उदय राज आनंद के अलावा कई लोग शामिल हैं. इन याचिकाओं में कहा गया है कि स्पेशल मैरिज एक्ट में अंतर धार्मिक और अंतर जातीय विवाह को संरक्षण मिला हुआ है. लेकिन समलैंगिक जोड़ों के साथ भेदभाव किया गया है.

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