कोलकाता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने 21 दिसंबर 2025 को कोलकाता के साइंस सिटी ऑडिटोरियम में आयोजित ‘आरएसएस 100 व्याख्यान माला’ कार्यक्रम में एक विस्तृत और विचारोत्तेजक संबोधन दिया। यह कार्यक्रम संघ की शताब्दी वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था, जिसमें बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विभिन्न वर्गों के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ (सेकुलर) शब्द के जुड़ने पर भागवत ने ऐतिहासिक संदर्भ दिया। उन्होंने याद दिलाया कि मूल संविधान में यह शब्द नहीं था, बल्कि 1976 में आपातकाल के दौरान 42वें संविधान संशोधन के माध्यम से ‘समाजवादी’ के साथ इसे जोड़ा गया था। उनका कहना था कि संविधान की प्रस्तावना में पहले से ही हिंदुत्व की झलक मौजूद है, क्योंकि यह सभी को समान अधिकार और न्याय की गारंटी देता है, जो हिंदू राष्ट्र की विशेषता है।
बता दें कि, आरएसएस-बीजेपी संबंधों पर उन्होंने कहा कि संघ को भाजपा के चश्मे से देखना बड़ी भूल है। संघ सामाजिक संगठन है, जो व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की दिशा में काम करता है। आज संघ के स्वयंसेवक बिना सरकारी सहायता के लाखों सेवा कार्य चला रहे हैं।
