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पंजाब में लंबे इंतजार के बाद एक बार फिर ग्रामीण लोकतंत्र को मजबूती मिलने जा रही है। राज्य में करीब सात साल के अंतराल के बाद पंचायत और जिला परिषद के चुनाव कराने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने इन चुनावों को लेकर औपचारिक मंजूरी दे दी है। ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग द्वारा इस संबंध में साफ हो गया है कि राज्य में जल्द ही ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों के लिए चुनावी प्रक्रिया शुरू होगी।

बता दें कि, पंजाब सरकार ने राज्य में पंचायत जिला परिषद के चुनाव करवाने को मंजूरी दे दी है। ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग ने इस संबंधी नोटिफिकेशन जारी कर दी है। सरकारी संकेतों और प्रशासनिक तैयारियों को देखते हुए माना जा रहा है कि ये चुनाव 31 मई से पहले कराए जा सकते हैं। यदि ऐसा होता है, तो यह पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और प्रशासनिक घटनाक्रम होगा, क्योंकि इससे निचले स्तर पर चुनी हुई सरकारों का गठन संभव हो सकेगा।

सात साल बाद क्यों हो रहे हैं चुनाव

पंजाब में पंचायत और जिला परिषदों का कार्यकाल वर्षों पहले समाप्त हो चुका था, लेकिन विभिन्न कारणों से चुनाव लगातार टलते रहे। कभी कानूनी अड़चनें, कभी आरक्षण से जुड़े विवाद तो कभी प्रशासनिक कारणों के चलते ग्रामीण निकायों के चुनाव नहीं हो पाए। इस दौरान कई स्थानों पर पंचायतों का संचालन प्रशासकों या अस्थायी व्यवस्थाओं के माध्यम से किया जाता रहा, जिससे ग्रामीण विकास और जनभागीदारी पर प्रतिकूल असर पड़ा।

कुल मिलाकर, पंजाब में सात साल बाद होने जा रहे पंचायत और जिला परिषद चुनाव राज्य के ग्रामीण लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकते हैं। मान सरकार का यह फैसला न सिर्फ लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूती देगा, बल्कि गांवों के विकास को भी नई दिशा देगा। अब सबकी निगाहें राज्य निर्वाचन आयोग के आधिकारिक चुनाव कार्यक्रम पर टिकी हैं, जिससे यह साफ हो सकेगा कि पंजाब के ग्रामीण मतदाता कब अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे और नई पंचायतों का गठन कब होगा।

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