भारतीय राजनीति में इन दिनों एक नया विवाद उभर कर सामने आया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने चुनाव आयोग (ECI) की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाते हुए भाजपा पर सीधा निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग “किसे बचा रहा है” — क्या उन लोगों को, जो असली मतदाताओं के वोट काटने की कोशिश कर रहे हैं?
कई सवाल उठाते हुए खेड़ा ने पूछा, ”क्या यह सच नहीं है कि चुनाव आयोग सीआइडी की जांच में सहयोग नहीं कर रहा है? क्या यह सच नहीं है कि 18 बार याद दिलाने के बाद भी चुनाव आयोग सीआइडी की मांगों का जवाब नहीं दे रहा है? क्या यह सच नहीं है कि चुनाव आयोग रंगे हाथों पकड़ा गया?”
खेड़ा से जब उन्हीं चुनावों में कांग्रेस की जीत के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यह चुनावी हार या जीत का मामला नहीं है, बल्कि चुनावी ईमानदारी का मुद्दा है, जिसके लिए पार्टी हमेशा खड़ी रही है।
राहुल गांधी की भूमिका
इस पूरे मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अलंद निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं का मुद्दा उठाया और कहा कि हजारों वोटरों के नाम काटे जा रहे हैं। राहुल गांधी ने इसे “लोकतंत्र के साथ धोखा” बताया था।
भाजपा की चुप्पी और विपक्ष का आक्रोश
इस पूरे विवाद पर भाजपा की ओर से अभी तक कोई विस्तृत बयान सामने नहीं आया है। लेकिन कांग्रेस लगातार भाजपा पर यह आरोप लगा रही है कि उसकी “संरक्षणकारी भूमिका” के चलते ही चुनाव आयोग निष्पक्ष तरीके से काम नहीं कर पा रहा है।
विपक्षी दलों का मानना है कि अगर चुनाव आयोग जैसे संवैधानिक संस्थान पर भी सवाल उठने लगे, तो लोकतंत्र की विश्वसनीयता खतरे में पड़ जाएगी।
कर्नाटक का अलंद निर्वाचन क्षेत्र इस समय इसलिए सुर्खियों में है क्योंकि यहां बड़े पैमाने पर वोट काटे जाने का आरोप है। कांग्रेस का दावा है कि हजारों असली मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए। इस मामले की जांच सीआइडी को सौंपी गई, लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि चुनाव आयोग जांच में सहयोग नहीं कर रहा। यही वजह है कि यह विवाद राष्ट्रीय स्तर तक फैल गया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के सवालों ने चुनाव आयोग और भाजपा दोनों को असहज स्थिति में ला दिया है। राहुल गांधी के “पर्दाफाश” और पवन खेड़ा के आरोपों ने इस विवाद को और गहरा कर दिया है। अब सबकी निगाहें चुनाव आयोग की ओर हैं कि वह इन आरोपों पर किस तरह प्रतिक्रिया देता है और क्या पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाता है।
