समाचार मिर्ची

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नई दिल्ली, साल के आखिरी कारोबारी दिनों में चांदी (Silver) के बाजार में जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। सोमवार को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर मार्च 2026 वायदा अनुबंध ने पहले तो इतिहास रच दिया और 2,54,174 रुपये प्रति किलोग्राम का नया ऑल-टाइम हाई छुआ, लेकिन इसके ठीक एक घंटे के भीतर ही भावों में भारी गिरावट आई। कीमतें करीब 21,000 से 21,500 रुपये प्रति किलोग्राम तक लुढ़ककर इंट्राडे लो 2,33,120 रुपये तक पहुंच गईं।

गिरावट के प्रमुख कारणबाजार विशेषज्ञों के अनुसार, यह कोई स्थायी क्रैश नहीं बल्कि ओवरहीटेड रैली के बाद की स्वाभाविक सुधार (Correction) है। मुख्य वजहें निम्नलिखित हैं:

  1. भारी मुनाफावसूली: चांदी की कीमतें पिछले कुछ हफ्तों में इतनी तेजी से चढ़ीं कि बड़े ट्रेडर्स और संस्थागत निवेशकों ने ऊंचे स्तरों पर मुनाफा वसूलना शुरू कर दिया। जब इतनी बड़ी रैली होती है, तो प्रॉफिट टेकिंग सामान्य बात है, जो बिकवाली का दबाव बढ़ाती है।
  2. भू-राजनीतिक तनाव में कमी: पिछले दिनों यूक्रेन-रूस संघर्ष पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की के बीच बातचीत से शांति की संभावना बढ़ी। इससे सुरक्षित निवेश की मांग (Safe Haven Demand) कम हुई, जिसका सीधा असर चांदी और सोने पर पड़ा।
  3. ओवरबॉट स्थिति और तकनीकी सुधार: भाव टेक्निकल इंडिकेटर्स से काफी ऊपर चले गए थे। RSI जैसे ऑसिलेटर ओवरबॉट जोन में थे, जिससे बाजार में सुधार जरूरी हो गया। ग्लोबल स्तर पर भी सिल्वर 80 डॉलर से गिरकर 73-75 डॉलर के बीच आ गया

चांदी बनी सबसे मजबूत एसेट

2025 में चांदी ने सभी एसेट क्लास को पीछे छोड़ दिया। साल की शुरुआत में करीब 90,000-1,00,000 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर से अब 2.5 लाख तक पहुंचकर इसने 150% से ज्यादा रिटर्न दिया। गोल्ड की तुलना में चांदी का प्रदर्शन कहीं बेहतर रहा। वजहें हैं- ग्लोबल इंडस्ट्रियल डिमांड में उछाल (सोलर एनर्जी, EV बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक्स), सप्लाई शॉर्टेज (खनन उत्पादन नहीं बढ़ पाया), चीन की एक्सपोर्ट रेस्ट्रिक्शन्स (जनवरी 2026 से प्रभावी), और फेडरल रिजर्व के रेट कट्स की उम्मीद।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह शॉर्ट-टर्म करेक्शन है और लॉन्ग-टर्म में चांदी बुलिश बनी रहेगी। 2026 में MCX पर 2,75,000 रुपये+ और ग्लोबल स्तर पर 80-85 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचने की संभावना है। इंडस्ट्रियल यूज, सेंट्रल बैंक खरीदारी और इकोनॉमिक अनसर्टेन्टी भावों को सपोर्ट करेंगे।

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