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बरसात का मौसम भले ही किसानों के लिए खेतों में पानी की कमी दूर करने वाला हो, लेकिन सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के लिए यह एक चुनौती भी होता है। इस मौसम में फसलों में नमी ज्यादा होने के कारण पौधों और फलों के सड़ने, कीट लगने और उत्पादन घटने का खतरा हमेशा बना रहता है। यही वजह है कि कई किसान बरसात में सब्जी की खेती करने से बचते हैं।

बरसात के मौसम में किसान अगर सब्जी की खेती करना चाहता है तो जैसे लौकी, परवल, करेला, भिंडी, की खेती करें. क्योंकि लौकी परवल करेला एवं भिंडी जैसे सब्जियों की खेती करने के लिए इन्हें झालर बनाकर इनके पौधों को चढ़ाया जा सकता है. जिससे फल भी साफ सुथरे एवं बड़े मात्रा में भी उत्पन्न होंगे. बरसात के मौसम में हरी सब्जियों के दाम अधिक मात्रा में होते हैं. जिससे किसानों को अधिक से अधिक लाभ भी हो जाता है.

जानकारी दे दें कि, मचान विधि में खेत में एक मजबूत ढांचा (मचान) बनाया जाता है, जिस पर बेल और झाड़ियाँ चढ़ती हैं। इसके लिए बांस, लकड़ी, तार और रस्सियों का इस्तेमाल करके खेत में एक जालीदार संरचना तैयार की जाती है। पौधे जैसे-जैसे बड़े होते हैं, उन्हें इस मचान पर चढ़ा दिया जाता है। इससे फल जमीन पर नहीं गिरते, जिससे उनके सड़ने और कीड़ों से खराब होने का खतरा कम हो जाता है।

बता दें कि, मचान विधि से फसलों का सड़ने का डर बिल्कुल से खत्म हो जाता है. ऐसे में अगर बरसात के मौसम में सब्जियों की खेती करना चाहते हैं. मचान विधि के लिए बॉस और तार की आवश्यकता पड़ती है. जिससे पौधे जो भी बड़े होते जाते हैं. उन्हें राशियों के सहारे से बॉस में चढ़ाए जाते हैं.

कुल मिलाकर बरसात के मौसम में भी किसान मचान विधि से खेती कर के न केवल अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि बाजार में हरी सब्जियों की मांग का फायदा उठाकर अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं। इस विधि से उत्पादन बढ़ता है, फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है और किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होती है।

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