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मोहखेड़/छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा जिले के मोहखेड़ विकासखंड में किसानों ने बिजली, फसल बीमा, वन भूमि अतिक्रमण समेत कई अन्य समस्याओं को लेकर तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। भारतीय किसान संघ, महाकौशल प्रांत के बैनर तले किसानों ने बड़ी मुखरता के साथ अपनी मांगे रखी। इस दौरान तहसील कार्यालय में आसपास के कई गांव के किसान इकट्ठा हुए और जमकर नारेबाजी की। अपनी मांगों का ज्ञापन देकर किसानों ने साफ तौर पर कहा है कि सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से लेते हुए तत्काल एक्शन लें अन्यथा किसान उग्र आंदोलन के लिए भी मजबूर होंगे।

किसानों की प्रमुख मांगें…

  1. किसानों के लिए बिजली बिल माफी और राहत पैकेज

प्रदेश के किसानों को महंगे बिजली बिलों से राहत दिलाने के लिए सरकार को तुरंत निर्णय लेना चाहिए। भारतीय किसान संघ की मांग है कि कृषि कार्यों के लिए बिजली पर दी जाने वाली सब्सिडी को बढ़ाया जाए और किसानों के बकाया बिलों को माफ किया जाए, ताकि वे आर्थिक रूप से कमजोर न पड़ें।

  1. फसल बीमा योजना का लाभ समय पर मिले

फसल बीमा का लाभ देने में देरी से किसान संकट में आ जाते हैं। संघ ने मांग की है कि 28 फरवरी से 15 मार्च 2025 के बीच किसानों को फसल बीमा राशि प्रदान की जाए, ताकि वे अगली फसल की तैयारी समय पर कर सकें। देरी होने से किसानों को कर्ज लेना पड़ता है, जिससे उनका आर्थिक बोझ बढ़ता है।

  1. 24 घंटे बिजली आपूर्ति की गारंटी

ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की कटौती के कारण किसानों को सिंचाई और घरेलू जरूरतों में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। किसान संघ की मांग है कि सिंचाई के लिए दिन में कम से कम 10 घंटे और घरेलू जरूरतों के लिए 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जाए। इससे किसानों की खेती सुचारू रूप से चल सकेगी और उनकी उत्पादकता बढ़ेगी।

  1. जर्जर सड़कों की मरम्मत हो

ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की हालत खराब होने के कारण किसानों को मंडियों तक अपनी फसल ले जाने में कठिनाई होती है। संघ ने मांग की है कि गांवों की सभी प्रमुख सड़कों की मरम्मत जल्द से जल्द करवाई जाए ताकि किसानों को यातायात की सुविधा मिले और वे अपनी उपज को आसानी से बाजारों तक पहुंचा सकें।

  1. धान की खरीदी में पारदर्शिता और उचित मूल्य मिले

धान खरीदी प्रक्रिया में किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मंडियों में देरी, भुगतान में गड़बड़ी और बिचौलियों के हस्तक्षेप से किसान परेशान हैं। संघ ने मांग की है कि धान खरीदी में पूरी पारदर्शिता बरती जाए, भुगतान समय पर हो और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का पूरा लाभ मिले।

  1. वन विभाग द्वारा किसानों के खेतों पर अतिक्रमण बंद हो

कई किसानों को वन विभाग द्वारा अपने ही खेतों पर खेती करने से रोका जा रहा है। यह स्थिति असहनीय है। संघ ने मांग की है कि वन विभाग किसानों को उनकी जमीन पर खेती करने से न रोके और जोत-परिवर्तन (land conversion) की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए।

  1. वन विभाग की मनमानी रोकने के लिए विशेष निगरानी व्यवस्था बने

किसान संघ का कहना है कि वन विभाग के अधिकारियों की मनमानी से किसानों को परेशानी होती है। कई बार किसानों की जमीन को वन भूमि बताकर जबरन कब्जे की कोशिशें की जाती हैं। ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए निगरानी कमेटी का गठन किया जाए, जिसमें किसान प्रतिनिधि भी शामिल हों।

  1. 2050 तक की कृषि नीति में किसानों की भागीदारी सुनिश्चित हो

भविष्य में किसानों की स्थिति सुधारने के लिए सरकार को 2050 तक की कृषि नीति तैयार करने में किसानों को शामिल करना चाहिए। नीति निर्माण में उनकी राय ली जाए और उनके हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं, ताकि खेती और किसान दोनों सुरक्षित रह सकें।

भारतीय किसान संघ की चेतावनी:

संघ ने साफ किया कि अगर इन मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। किसानों के हितों की अनदेखी अब और बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

“सरकार को किसानों की बात सुननी होगी, वरना हमें सड़कों पर उतरना पड़ेगा!”

अब देखना यह है कि सरकार इन मांगों पर क्या निर्णय लेती है। यदि समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो प्रदेश में बड़ा किसान आंदोलन देखने को मिल सकता है।

भारतीय किसान संघ के नेताओं ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि इन मांगों को अनदेखा किया गया, तो वे प्रदेशभर में उग्र आंदोलन करेंगे। संघ के अध्यक्ष और प्रतिनिधियों ने कहा कि किसानों की आवाज को दबाना सरकार के लिए भारी पड़ सकता है।

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