नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार ने पार्टी नेतृत्व को चिंतन के लिए मजबूर कर दिया है। इसी समीक्षा के तहत कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने दिल्ली में हारे हुए प्रत्याशियों के साथ विस्तृत मीटिंग की। इस मीटिंग में हार के कारणों पर खुलकर बातचीत हुई, जहां उम्मीदवारों ने जमीनी हालात और राजनीतिक समीकरणों को विस्तार से रखा।
मीटिंग के बाद कांग्रेस MP अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि हर कैंडिडेट ने अपना नजरिया पेश किया है। राहुल, खड़गे और केसी वेणुगोपाल ने उनकी शिकायतें डिटेल में सुनीं। सुधार के उपाय करने पर भी बात हुई। हमने अपने विचार बताए हैं। हालांकि यह टिप्पणी राजनीतिक विश्लेषण है, पार्टी नेता का कहना है कि इससे कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक खिसक गया। बावजूद इसके वे मानते हैं कि कांग्रेस एक मजबूत विचारधारा वाली पार्टी है और राहुल गांधी तथा खरगे के नेतृत्व में आगे बेहतर प्रदर्शन करेगी।
तौकीर आलम बोले – सीट बदले जाने से तैयारी प्रभावित हुई
हारे हुए उम्मीदवारों की शिकायतें यहीं खत्म नहीं हुईं। पार्टी नेता तौकीर आलम ने अपनी हार की वजहों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि चुनाव से ठीक पहले उनकी सीट बदल दी गई, जिससे चुनावी तैयारी असंतुलित हो गई।
उन्होंने कहा:
- “मैं अपनी पुरानी सीट पर तैयारी कर रहा था। अचानक मेरा ट्रांसफर बरारी कर दिया गया।”
- “अगर 10–15 दिन पहले नाम घोषित होता, तो हम स्थिति संभाल सकते थे।”
उन्होंने यह भी बताया कि इतने कम समय में भी 97,000 वोट मिले, जो इस बात का संकेत है कि मेहनत की कमी नहीं थी, लेकिन अंतिम समय में हुए बदलावों ने उनकी रणनीति को कमजोर कर दिया। तौकीर आलम ने यह भी कहा कि अंतिम समय में महिलाओं के खातों में 10,000 रुपये तक की राशि भेजी गई, जिसने वोटिंग पैटर्न पर असर डाला और यह कांग्रेस के लिए एक और चुनौती साबित हुई।
क्या वाकई सीमांचल में ओवैसी फैक्टर निर्णायक रहा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीमांचल के कई इलाकों में AIMIM ने मुस्लिम वोटों को कांग्रेस और राजद से खींचा, जबकि कुछ सीटों पर उन्होंने सीधा नुकसान पहुंचाया।
हालाँकि कांग्रेस नेताओं का यह आरोप कि AIMIM द्वारा “नैरेटिव बनाकर BJP को फायदा पहुंचाया गया”, राजनीतिक बयान का हिस्सा है, और इसका मूल्यांकन राजनीतिक विशेषज्ञों द्वारा अलग-अलग किया जा रहा है।
राहुल गांधी की मीटिंग का संदेश – हार के कारण ढूंढो, दोष मत दो
राहुल गांधी ने मीटिंग में यह स्पष्ट संकेत दिया कि पार्टी अब तथ्य आधारित समीक्षा पर जोर दे रही है। उन्होंने नेताओं से कहा कि वे खुलकर अपनी राय रखें ताकि असली मुद्दों की पहचान हो सके।
इस मीटिंग से जुड़े सूत्रों के अनुसार:
- राहुल गांधी किसी भी प्रकार का दोषारोपण नहीं सुनना चाहते थे।
- वे उन कारणों पर बात चाहते थे, जिनसे संगठनात्मक और राजनीतिक स्तर पर कमजोरियां सामने आईं।
- केंद्रीय नेतृत्व ने यह भी संकेत दिया कि सुधारों पर जल्द काम शुरू होगा।
दिल्ली में हुई यह समीक्षा बैठक कांग्रेस के भीतर एक महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा है। हारे हुए उम्मीदवारों ने खुलकर अपनी बात रखी, सीमांचल में ओवैसी फैक्टर से लेकर उम्मीदवारों के बदलाव, स्थानीय रणनीति की कमियों और सामाजिक समीकरणों तक—हर पहलू पर चर्चा हुई।
बता दें कि, कुल मिलाकर कांग्रेस नेतृत्व ने यह साफ कर दिया है कि पार्टी हार से निराश नहीं है, बल्कि हार से सीखकर आगामी चुनावों में बेहतर रणनीति के साथ मैदान में उतरना ही लक्ष्य है। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे की अगुवाई में यह समीक्षा प्रक्रिया बताती है कि कांग्रेस अपने भविष्य को लेकर गंभीर है और संगठनात्मक सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने की तैयारी में है।
