बिहार की सियासत इस समय अपने सबसे अहम मोड़ पर खड़ी है। चुनाव के बाद सत्ता के नए समीकरण तय होने लगे हैं और राज्य की जनता की निगाहें नई सरकार के गठन पर टिक गई हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज राज्यपाल से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपने का फैसला किया है, जिसके बाद विधानसभा को भंग किया जाएगा और नई सरकार की राह औपचारिक रूप से साफ हो जाएगी। 20 नवंबर को नई कैबिनेट का शपथ ग्रहण होना है, इसलिए राजनीतिक गतिविधियां पिछले 48 घंटों में अचानक तेज हो गई हैं।
परिवार में फूट से सियासत गरमाई हुई है। Rohini Acharya को लेकर लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। नई सरकार के गठन और महागठबंधन की हार पर रार के बीच Bihar Politics में लगातार हलचल बनी हुई है। बिहार में सरकार गठन की प्रक्रिया के बीच NDA गठबंधन में बैठकों का दौर लगातार जारी है। बीजेपी, जेडीयू और अन्य सहयोगी दलों के नेताओं के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा हो रही है। सबसे प्रमुख सवाल है—डिप्टी सीएम कौन बनेगा?
20 नवंबर को शपथ ग्रहण: किसे मिलेगा मौका, कौन रहेगा बाहर?
राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस बार मंत्रिमंडल में कई नए चेहरे शामिल किए जा सकते हैं। बिहार में युवा नेताओं को आगे लाने की मांग लंबे समय से होती रही है। बीजेपी और जेडीयू की आंतरिक बैठकों में इस बात पर भी चर्चा है कि नई सरकार को बेहतर प्रदर्शन के लिए कैसे तैयार किया जाए।
- प्रशासनिक अनुभव वाले नेताओं को प्राथमिकता दी जा सकती है।
- 2025–2030 के लिए विकास रोडमैप को ध्यान में रखते हुए पोर्टफोलियो बांटे जाएंगे।
- NDA गठबंधन जातीय संतुलन को बचाकर रखना चाहता है, खासकर क्योंकि पिछले चुनाव में जातिगत समीकरणों ने निर्णायक भूमिका निभाई थी।
हालांकि आधिकारिक सूची 20 नवंबर की सुबह तक ही साफ होने की उम्मीद है।
जानकारी दे दें कि, नीतीश कुमार का इस्तीफा और नई सरकार का गठन सिर्फ एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति की दिशा तय करने वाला कदम है। बता दें कि, नीतीश ने कई बार सरकार बदली है और राजनीतिक पटल पर अपनी भूमिका को नए तरीकों से परिभाषित किया है। इस बार भी वे एक ऐसा गठबंधन तैयार करना चाहते हैं, जो टिकाऊ और स्थिर हो। नीतीश का लक्ष्य आगामी वर्षों में बिहार के विकास को एक नई दिशा देना बताया जा रहा है।
