पाकिस्तान का सिंध प्रांत इन दिनों पानी के गंभीर संकट से जूझ रहा है, जो अब हिंसक आंदोलन में तब्दील हो चुका है। सिंधु नदी पर विवादास्पद नहर परियोजनाओं के खिलाफ स्थानीय लोगों का आक्रोश इस कदर बढ़ गया है कि उन्होंने सिंध के गृह मंत्री जियाउल हसन लंजर के घर में घुसकर तोड़फोड़ की और आगजनी कर दी। यह संकट न सिर्फ एक राज्य का मुद्दा बन गया है, बल्कि अब यह पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता और संसाधनों के वितरण पर गहरे सवाल खड़े कर रहा है।
सिंधु नदी पर नहरों का विवाद बना आंदोलन की जड़
हम ापको बता दे ं कि, पाकिस्तान के सिंध प्रांत में लंबे समय से सिंधु नदी पर पानी के असमान वितरण को लेकर असंतोष रहा है। हाल ही में सरकार द्वारा सिंधु नदी पर कुछ नई विवादास्पद नहरों के निर्माण की घोषणा के बाद इस असंतोष ने आंदोलन का रूप ले लिया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इन नहरों का लाभ पंजाब और अन्य क्षेत्रों को मिलेगा, जबकि सिंध को उसका जायज़ हक नहीं दिया जा रहा। सिंध के लोगों का कहना है कि इन नहरों के निर्माण से सिंध के कई इलाकों में खेती के लिए जरूरी पानी और अधिक कम हो जाएगा, जिससे सूखा और भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
पानी की राजनीति बन रही तनाव का कारण
सिंधु नदी पाकिस्तान के जीवन की धारा मानी जाती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा जैसे राज्यों में पानी की भारी किल्लत देखी गई है। वहीं, पंजाब प्रांत को अपेक्षाकृत अधिक जल आपूर्ति मिलने के आरोपों के चलते स्थानीयता और क्षेत्रीय असंतुलन की भावना पनप रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह जल विवाद ऐसे ही बढ़ता रहा, तो यह पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति में और अधिक उथल-पुथल ला सकता है। सिंध के कई राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया है।
इस आंदोलन के दौरान पुलिस की कार्रवाई और प्रदर्शनकारियों की मौत पर मानवाधिकार संगठनों ने भी चिंता जताई है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान में अभिव्यक्ति की आज़ादी और आंदोलनकारियों के साथ हो रहे दमन को लेकर आलोचना की जा रही है। कई संगठनों ने सरकार से संयम बरतने और प्रदर्शनकारियों की मांगों को गंभीरता से लेने की अपील की है।