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नई दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और चुनाव आयोगके बीच जारी तनातनी ने एक नया मोड़ ले लिया है। कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी (Chief Electoral Officer – CEO) ने राहुल गांधी को एक औपचारिक नोटिस भेजकर उनसे उस बयान का आधार बताने को कहा है जिसमें उन्होंने दावा किया था कि एक महिला मतदाता ने दो बार मतदान किया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि राहुल गांधी अपने दावों के समर्थन में ठोस सबूत नहीं देते, तो उन्हें देश से माफी मांगनी होगी।

बता दें कि, मामला तब शुरू हुआ जब राहुल गांधी ने पिछले हफ्ते एक प्रेस कांफ्रेंस में कथित ‘वोट चोरी’ के सबूत होने का दावा किया। उन्होंने कर्नाटक, हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनावी गड़बड़ियों और वोटर लिस्ट में अनियमितताओं का मुद्दा उठाते हुए कहा कि कुछ क्षेत्रों में लोगों ने एक से अधिक बार वोट डाले हैं। इस दौरान उन्होंने कुछ दस्तावेज और रिकॉर्ड दिखाए जिनमें एक महिला ‘शकुन रानी’ का नाम प्रमुख रूप से शामिल था।

नोटिस जारी होने के साथ ही चुनाव आयोग ने कर्नाटक, हरियाणा और महाराष्ट्र में वोट चोरी के दावों पर सबूत देने या अपने झूठे दावों पर देश से माफी मांगने को कहा है। कर्नाटक के चुनाव अधिकारी ने कहा है कि दस्तावेजों से उनको विस्तृत जांच करने में सुविधा होगी।

राहुल का दावा था कि ये दस्तावेज मतदान अधिकारी के रिकॉर्ड पर आधारित हैं और इसमें स्पष्ट रूप से दिखाया गया है कि शकुन रानी नाम की महिला ने दो बार मतदान किया। उन्होंने इसे भारतीय लोकतंत्र पर सीधा हमला बताते हुए चुनाव आयोग से इस पर कार्रवाई की मांग की थी।

सबूत या माफी – दो विकल्प

आयोग ने नोटिस में स्पष्ट लिखा है कि यदि राहुल गांधी सबूत प्रस्तुत करने में असफल रहते हैं, तो यह माना जाएगा कि उन्होंने बिना प्रमाण के झूठे आरोप लगाए हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया की साख को ठेस पहुंच सकती है। ऐसे में उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी होगी।

कांग्रेस पार्टी की ओर से इस पर आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी तक नहीं आई है, लेकिन पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि राहुल गांधी ने जो भी कहा, वह मतदाताओं से मिले फीडबैक और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं द्वारा इकट्ठा किए गए सबूतों पर आधारित है। उनका कहना है कि कांग्रेस दस्तावेज देने को तैयार है, लेकिन आयोग को भी निष्पक्ष जांच करनी चाहिए।

लोकतंत्र में चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता सर्वोपरि होती है। चाहे आरोप लगाने वाला कोई भी हो, सबूत के बिना की गई बातें न केवल संस्थाओं की साख को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि मतदाताओं के विश्वास को भी डगमगा सकती हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी इस नोटिस का क्या जवाब देते हैं और आने वाले दिनों में यह विवाद किस दिशा में जाता है।

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